आये जिसकी भी सरकार, पर करने होंगे ये जरूरी काम

मुंबई,  आम चुनाव के परिणाम आने के बाद चाहे जो भी सरकार सत्ता में आये, भूमि और श्रम सुधार, निजीकरण और निर्यात संवर्धन उसके एजेंडा में सबसे ऊपर होने चाहिये। चुनाव परिणाम 23 मई को आने हैं।

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आम चुनावों के लिये सात चरणों में हुये मतदान के बाद जारी ज्यादातर सर्वेक्षणों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन  के भारी बहुमत से सत्ता में लौटने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। गठबंधन को 300 से अधिक सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई है। गोल्डमैन साक्स ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा है कि चाहे कोई भी गठबंधन अथवा पार्टी सत्ता में आये उसकी प्राथमिकता में भूमि और श्रम सुधार, निजीकरण और निर्यात संवर्धन सबसे ऊपर होना चाहिये।

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इसमें कहा गया है कि पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया जैसे नये बाजारों को लक्ष्य बनाकर निर्यात संवर्धन किया जाना चाहिये। इसके साथ ही उत्पादों की ग्रेडिंग और प्रमाणीकरण के लिये एक बेहतर प्रणाली बनाने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में सुधारों को बढ़ाने को लेकर तीन संभावित परिदृश्यों पर विचार किया गया है। इसमें कहा गया है कि सुधारों को आगे बढ़ाने, यथास्थिति रखने और कदम वापस खींचने जैसी तीन स्थितियों में सकल घरेलू उत्पाद पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।

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सुधारों के आगे बढ़ने अथवा पीछे हटने की स्थिति में 2020- 2025 के दौरान जीडीपी की औसत वास्तविक वृद्धि के 7.5 प्रतिशत के आधार स्तर से इसमें 2.5 प्रतिशत की घटबढ़ का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुधारों के तेजी से बढ़ने के मामले में वृद्धि 10 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। सुधारों से कदम पीछे खींचने के मामले में यह घटकर पांच प्रतिशत पर आ सकती हे। सुधारों के तेजी से बढ़ने की स्थिति में यह मानकर चला जायेगा कि नई सरकार के पास पर्याप्त बहुमत होना चाहिये ताकि वह महत्वपूर्ण सुधार विधेयकों को आगे बढ़ा सके और उसके पास सुधारों को अमल में लाना की इच्छाशक्ति होनी चाहिये।

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रिपोर्ट के अनुसार यदि आधिकारिक चुनाव परिणाम भी वही रहता है जो कि एक्जिट पोल में दिखाया गया है तो डालर-रुपया की विनिमय दर आने वाले दिनों में मौजूदा स्तर पर ही बनी रहेगी। डालर-रुपया विनिमय दर के लिये तीन माह का अनुमान 69 रुपये प्रति डालर रखा गया है।इसमें कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली में नकदी की स्थिति सामान्य होने का अनुमान है क्योंकि चुनाव के दौरान उच्चस्तर पर पहुंचने के बाद इसमें कमी आयेगी। रिजर्व बैंक भी नकद को उचित स्तर पर रखने के लिये हस्तक्षेप जारी रखेगा।

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