लखनऊ, उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखनऊ में अलग-अलग स्थानों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कई अन्य भाजपा नेताओं के “आपराधिक रिकॉर्ड” को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग लगाने के अपराध मे दो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
इन दोनों की पहचान सुधांशु बाजपेयी और लालू कनौजिया के रूप में हुई।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने उन्हें शनिवार देर रात उनके घर से उठाया था।
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विवादास्पद होर्डिंग लखनऊ के प्रमुख स्थानों के साथ ही मुख्यमंत्री के आवास पाँच कालीदास मार्ग से कुछ दूरी पर और बीजेपी दफ्तर के बाहर भी लगा दिए गये थे। दो कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम लिखे हैं।
होर्डिंग मे भाजपा नेताओं को ‘दंगाई’ बताया गया है और पूछा गया है कि जब वे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान बर्बरता के आरोपी के व्यक्तिगत विवरण प्रदर्शित कर रहें हैं, तो राज्य सरकार द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स की स्पष्ट प्रतिक्रिया में, वे नुकसान का भुगतान कब करेंगे।
“जनता मांगे जवाब: इन दंगाईयो से वसूली कब ?” (जनता जानना चाहती है, ये दंगाई कब हर्जाना अदा करेंगे?) होर्डिंग की हेडलाइन है।
होर्डिंग में भाजपा नेताओं और 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी विधायक संगीत सोम, सांसद संजीव बाल्यान, विधायक उमेश मलिक और यूपी के मंत्री सुरेश राणा के अलावा गोरखपुर के विधायक राधा मोहन अग्रवाल शामिल हैं।
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पुलिस ने आरोप लगाया कि दो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए पोस्टर लगाए थे और एक ‘साजिश’ के हिस्से के रूप में इसे फैलाया था।
हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, पोस्टरों ने आपत्तिजनक और अपमानजनक सामग्री और ‘दुर्भावनापूर्ण’ शब्दों को समाज में ‘घृणा’ और नफरत फैलाने के लिए अंजाम दिया।
इन दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (1) (बी), इरादे के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की क्षति की रोकथाम के खंड 3 और प्रेस और पंजीकरण अधिनियम, 1867 के 12 (3) भी दोनों नेताओं और एक अज्ञात प्रिंटिंग प्रेस मालिक पर लगाये गये हैं। क्योकि होर्डिंग में प्रिंटिंग प्रेस का नाम नहीं था।
गिरफ़्तारी व जेल भेजने के के विरोध में राज्य की राजधानी लखनऊ में ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है।
सोशल मीडिया पर भी योगी सरकार की कार्रवाई का लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं।
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