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कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर नेपाल की आपत्ति पर भारत ने दिया ये जवाब?

नयी दिल्ली, सरकार ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाली श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए बनाये जा रहे मार्ग को लेकर नेपाल की ओर से जारी बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह पूर्ववर्ती मार्ग है जिसे आसान बनाया गया है और यह पूरी तरह से भारतीय सीमा में है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जारी बयान में कहा कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हाल ही में जिस रोड का उद्घाटन किया गया है वह पूरी तरह से भारत की सीमा में हैै। इस मार्ग पर आवागमन आसान हो जाने से तीर्थयात्रियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों और व्यापारियों काे बहुत सहूलियत मिलेगी।

प्रवक्ता ने कहा कि भारत और नेपाल ने सीमा संबंधी मामलों के निपटाने के लिए एक तंत्र स्थापित किया है। नेपाल की सीमा संबंधी विवाद के निपटाने के लिए प्रक्रिया चल रही है। भारत सीमा संबंधी लंबित मामलों को कूटनीतिक वार्ता और दोनों देशों के दोस्ताना द्विपक्षीय संबंधों की भावनाओं के अनुरूप हल करने को प्रतिबद्ध है।

दोनों देश विदेश सचिव स्तर की वार्ता की तिथियां निर्धारित करने की प्रक्रिया में जुटे हैं। ये तिथियां कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के कारण उत्पन्न संकट से निपट लिये जाने के बाद निर्धारित कर ली जायेंगी।

नेपाल ने लिपूलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली रणनीति दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सर्कुलर लिंक रोड का भारत द्वारा उद्घाटन किये जाने पर शनिवार को आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह ‘एकतरफा कदम’ दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए बनी सहमति के खिलाफ है।

रणनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तथा चीन की सीमा से सटे 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रा इस सड़क के माध्यम से अब उत्तराखंड के धारचूला से जुड़ जाएगा। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार को बहुत खेद के साथ सूचना प्राप्त हुई है कि लिपूलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया गया है। नेपाल इस दर्रे को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है।