Breaking News

एक्सपर्ट से जानें पीसीओएस – लक्षण, जाँच और इलाज

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का संक्षिप्त रूप है, पीसीओसी यह एक ऐसी समस्या होती है, जिसमें गर्भाशय असामान्य रूप में एंड्रोजेन्स, मेल सेक्स हॉर्मोन का निर्माण करने लगती हैं। सामान्य तौर पर महिलाओं में भी थोड़ी मात्रा में ये मौजूद होता है। पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का मतलब है अंडाशय के कई छोटे-छोटे सिस्ट (तरल पदार्थ से भरी थैली)।

हाल के वर्षों में, पीसीओसी, महिलाओं में एक बेहद ही सामान्य हॉर्मोन डिसऑर्डर के रूप मे उभरा है। इससे अंडाशय प्रभावित होता है लेकिन इसकी वजह से हमेशा बाँझपन नहीं होता। आप प्रेग्नेंट होने के लिये फिट होते हैं। हालांकि, पीसीओएस बाँझपन के एक प्रमुख कारणों में से एक है।

डॉक्टर रत्‍ना सक्‍सेना, फर्टिलिटी एक्‍सपर्ट, नोवा साउथेंड आईवीएफ एंड फर्टिलिटी, बिजवासन बता रही हैं कई सारे कारक पीसीओएस के होने और गंभीरता का कारण बनते हैं। यह हॉर्मोनल असंतुलन, अन्य अंगों की कार्यप्रणाली के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

पीसीओएस और प्रजनन

जब एक परिपक्व अंडा अंडाशय से बाहर आता है तो इसकी परिणति के रूप में ओव्यूलेशन होता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि यह पुरुष शुक्राणु द्वारा निषेचित हो सके। यदि अंडा निषेचित नहीं होता है, तो महावारी के दौरान वह बाहर निकल जाता है।

कुछ मामलों में, एक महिला ओव्यूलेशन के लिये आवश्यक संख्या में हॉर्मोन का उत्पादन नहीं करती है। जब ओव्यूलेशन नहीं होता है, तो अंडाशय बड़ी संख्या में छोटे सिस्ट में विकसित हो सकते हैं। ये सिस्ट एंड्रोजन हॉर्मोन का उत्पादन करते हैं। इसलिये, पीसीओएस वाली महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन का स्तर ऊँचा होता है। यह महिला के माहवारी चक्र की समस्याओं को बढ़ा सकता है। यह पीसीओएस से जुड़े कई लक्षण भी पैदा कर सकता है। इसके अलावा, अंडाशय में पतली, दर्द रहित द्रव से भरी थैली का बनना, अंडाशय के बाहरी आवरण का मोटा होना, और आपके रक्त में उच्च इंसुलिन का स्तर भी कुछ ऐसे कारक हैं जो ओव्यूलेशन को बाधित कर सकते हैं। अनियमित महावारी या मिस्ड पीरियड्स इस रोग के शुरूआती, तत्काल लक्षणों में से एक हैं।

लक्षण

पीसीओएस के लक्षण आमतौर पर किशोरावस्था के बाद या वयस्क होने के शुरूआती दौर में नजर आते हैं। उन लक्षणों में शामिल हैं:

1. चेहरे या शरीर के अन्य हिस्सों पर अत्यधिक मात्रा में बालों का उगना
2. सिर से बालों का कम होना
3. मुहाँसे के निशान या ऑयली स्किन
4. गर्दन या बाँह पर पैच हो जाना
5. एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स (मोटे, गहरे रंग के स्किन पैच), आमतौर पर गर्दन, कमर या ब्रेस्ट के नीचे पाया जाता है।
6. वजन का बढ़ना या वजन कम कर पाने में मुश्किल होना

निदान

सबसे पहले, आपकी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों की जाँच की जाती है। मूल्यांकन के आधार पर, शारीरिक जाँच करवाने की सलाह दी जाती है। इसके अंतर्गत पेल्विक जाँच शामिल होती है। इस जाँच में आपके शरीर के बाहरी तथा अंदरूनी प्रजनन अंगों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।

पीसीओएस के कुछ लक्षण, अन्य बीमारियों से काफी मिलते-जुलते हैं। इसकी वजह से आपको ये जाँच करवाने की सलाह दी जाती है :

अल्ट्रासाउंड : यह जाँच ध्वनि तरंगों और एक कंप्यूटर का उपयोग करके ब्लड वेसल्स, ऊतकों और अंगों की इमेजेस बनाती है। इस परीक्षण का उपयोग अंडाशय के आकार को जानने के लिये किया जाता है कि कहीं उनमें सिस्ट तो नहीं और गर्भाशय की परत (एंडोमेट्रियम) की मोटाई का पता लगाया जाता है।

ब्लड टेस्ट : एंड्रोजन और अन्य हॉर्मोन के स्तर का आकलन करने के लिये रक्त परीक्षण किया जाता है। आपके डॉक्टर द्वारा आपके ब्लड ग्लूकोज के स्तर की भी जाँच की जा सकती है। इसके अलावा, आपके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर की भी जाँच की जा सकती है।

उपचार
पीसीओएस उपचार को कई तरह के कारक प्रभावित करते हैं। इनमें आपकी उम्र, आपके लक्षणों की गंभीरता और आपका संपूर्ण स्वास्थ्य शामिल हो सकता है।
चूँकि, वर्तमान में पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है, उपचार और प्रबंधन द्वारा लक्ष्य हासिल किया जाता है।

पीसीओएस-संबंधी बाँझपन के उपचार में, ओव्यूलेशन की किसी भी समस्या को सही करने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याओं, जैसे कि इन्सुलिन प्रतिरोध को ठीक किया जाता है।
इसे मासिक चक्र को नियमित करने और अनियमित महावारी वाली महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस होने से रोकने के लिये भी इस्तेमाल किया जा सकता है । पीसीओएस से ग्रसित अधिकांश महिलाएं सही इलाज से प्रेग्नेंट हो सकती हैं।

महावारी के कुछ चक्र तक हरेक चक्र की शुरूआत में थोड़े समय के लिये टेबलेट्स लेने से पीसीओएस से संबंधित अधिकांश महिलाओं को सफलतापूर्वक ठीक किया जा सकता है।
क्लोमीफीन साइट्रेट (क्लोमिड)
क्लोमीफीन, अंडाशय को मासिक रूप से एक अंडे को रिलीज करने (ओव्यूलेशन) के लिये प्रेरित करता है। यदि क्लोमीफीन, ओव्यूलेशन को प्रेरित नहीं कर पाता तो मेटफॉर्मिन नाम की दवा भी दी जा सकती है।

मेटफोर्मिन
मेटफोर्मिन का उपयोग आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिये किया जाता है, लेकिन यह पीसीओएस महिलाओं में इंसुलिन और ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है।

मेटफोर्मिन के अन्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ हैं, कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर को कम करना और हृदय रोग के जोखिम को कम करने के अलावा ओव्यूलेशन को उत्तेजित करना, नियमित मासिक चक्र को प्रेरित करना और गर्भपात के जोखिम को कम करना।

सर्जरी
एक छोटी-सी सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसे लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग (एलओडी) के नाम से जाना जाता है, जो पीसीओएस-संबंधित प्रजनन की समस्या के लिये एक बेहतर विकल्प हो सकता है, यदि दवाएं असर ना कर रही हों।

जनरल एनेस्थेसिया देकर, आपके डॉक्टर आपके पेट के निचले हिस्से में एक छोटा-सा चीरा लगाएंगे ताकि एक लंबा, पतला माइक्रोस्कोप जिसे लेप्रोस्कोप कहा जाता है, आपके पेट में डाल पाएं।

फिर अंडाशय को हीट सा लेज़र से उपचारित किया जाता है ताकि एंड्रोजन का निर्माण करने वाले टिशूज (मेल हॉर्मोन) को नष्ट किया जा सके।
एलओडी में टेस्टोस्टेरॉन की निम्न मात्रा और ल्युटिनाइजिंग हॉर्मोन (एलएच) के स्तरों को कम करने और फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (एफएसएच) को बढ़ाने की क्षमता देखी गई है।
यह आपके हॉर्मोन को संतुलित करता है और आपके अंडाशय फिर से सामान्य तरीके से काम करने लगते हैं।

डाइट और एक्सरसाइज
एक स्वास्थ्यकर भोजन और शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है और आपके लक्षण कम हो सकते हैं। साथ ही आपके शरीर के इंसुलिन इस्तेमाल करने की क्षमता भी बेहतर होती है, आपके ब्लड ग्लूकोज का स्तर कम होता है और आपको ओव्यूलेट करने में मदद मिलती है।

रिपोर्टर-आभा यादव