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पालीथीन से बनायें दूरी, स्वच्छता सबसे जरूरी- गोरखपुर

लखनऊ ,सिंगल यूज प्लास्टिक या पालीथीन का उपयोग पूरी तरह बंद कर दिया गया है। साथ ही ऐसा करते पाये जाने पर जुर्माने का भी प्राविधान है।

सिंगल यूज प्लास्टिक या पालीथीन का उपयोग क्यों बंद कर दिया गया है। इस पर विस्तार से जानकारी आज स्वच्छ भारत मिशन, नगरीय के तहत, गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र के वार्ड इंजीनियरिंग कॉलेज वार्ड नंबर 03  में  “गंदगी से आजादी” अभियान के क्रम में नुक्कड़ नाटक के जरिये दी गई।

नुक्कड़ नाटक टीम ने दर्शकों को बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। यह  प्लास्टिक न तो डिकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है। इनके टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक होते हैं।सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा बारिश के पानी को जमीन के नीचे जाने से रोकता है, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है।

उन्होने बताया कि करीब 15% सिंगल यूज प्लास्टिक जला दिया जाता है। प्लास्टिक के जलने से जहरीली गैसें और खतरनाक केमिकल निकलते हैं, जो न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि इंसानों, जानवरों और पेड़-पौधों की सेहत के लिए खतरनाक हैं। प्लास्टिक कचरा जलाने वाली डंप साइट पर काम करने वाले लोग और उसके आसपास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही इससे सांस लेने से जुड़ी समस्याएं भी हो जाती हैं।

इसलिये अब आप पालीथीन को कहें न और कपड़े के थैले या बैग को कहें हां, तभी बचेगी जान। बस बाजार जाने से पहले घर से थैला ले लेने की आदत डाल लें । ये एक अच्छी आदत शहर को स्वच्छ और आपको स्वस्थ रखने में मदद करेगा। अब आप बाजार से सामान घर लाने के लिए पॉलीथिन की पन्नी के स्थान पर कपड़े के थैले का इस्तेमाल करें।