तीन दिवसीय इस आयोजन के अन्तिम दिन आयोजित इस कार्यक्रम में किसान और वैज्ञानिक संवाद सत्र की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम नन्दन सिंह ने की। श्री श्याम नन्दन सिंह ने कहा कि किसान, गाय और खेत एक दूसरे से प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए हैं।
सलाहकार समिति में शामिल डा0 प्रमोद कुमार त्रिपाठी, श्री योगेश कुमार मिश्रा, डा0 उमाशंकर श्रीवास्तव और श्री राधेश्याम दीक्षित ने किसानों और वैज्ञानिकों का आवाहन किया कि सभी मिलकर काम करें। जैविक कृषि को बढ़ावा देने और जैविक खाद के उत्पादन के लिए आयोग सभी गो आश्रय स्थलों में विशेष प्रकल्प संचालित करने में सहयोग करेगा।
कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के पूर्व महानिदेशक डा0 मंगला राय ने किसानों की प्रगति के लिए पारम्परिक ज्ञान और नवाचारी अविष्कारों का एकीकरण किये जाने की बात कही। इस सत्र में आम उत्पादक, सब्जी उत्पादकों के साथ मशरूम और मधुमक्खी पालकों ने भी सफलता की कहानियां प्रस्तुत की। किसानों के लिए कम लागत के साथ अधिकाधिक लाभ अर्जित करने के लिए ब्रम्हाणीय उर्जा का उपयोग करने की विधि केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के पूर्व निदेशक डा0 राम कृपाल पाठक ने अपनी प्रस्तुति में दी।
किसानों और वैज्ञानिकों के सत्र में किसानों ने अपनी चुनौतियां भी बताई जिनका समाधान वैज्ञानिकों ने दिया। सभी वैज्ञानिकों ने सहमति जताई कि खेतों की सेहत ठीक रखने के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं की सर्वाधिक उपयोगिता है। इसलिए इसका उपयोग बढ़ाने से खेत, गाय और किसानों व नागरिकों की सेहत भी अच्छी होगी।