नई दिल्ली, अगर दुनिया में 5G नेटवर्क आ गया तो इनकी जान जा सकती है। दुनिया बेसब्री से 5G का इंतजार कर रही है। 5G को पूरी तरह से लाॅन्च करने को लेकर तकनीक क्षेत्र में कई अग्रणी कंपनियां अलग-अलग मानकों पर इसका परीक्षण कर रही है। लेकिन दुनिया को पूरी तरह से बदलने का दावा करने वाला यह तकनीक अब जीव जंतुओं के लिए खतरा बनता जा रहा है। 5G को लेकर यह अहम सवाल तब खड़ा हुआ है जब नीदरलैंड में टेस्टिंग के दौरान अचानक सैकड़ों पक्षियों की जान चली गई।
करीब एक सप्ताह पहले नीदरलैंड के हेग शहर में अचानक ही सैकड़ों पक्षियों के मरने की खबर तेजी से फैलने लगी। एक वेबसाइट के मुताबिक, हेग शहर में 5G टेस्टिंग के दौरान करीब 297 पक्षियों की जान चली गई। इनमें से 150 पक्षियों की मौत टेस्टिंग शुरू हाेने के तुरंत बाद हो गई। 5G टेस्टिंग के रेडिएशन का इतना बुरा प्रभाव था कि आसापास के कई तालाब में बत्तखों के झुंड में अजीब तरह का व्यवहार देखा गया। वो बार-बार अपना सिर पानी में डूबों रही थी और बाहर आ रहीं थाी।
नीदरलैंड के इस शहर में 5G टेस्टिंग के दौरान रेडियो फ्रिक्वेंसी रेडिएशन 7.40 गीगाहार्ट्ज था। हालांकि अभी इसके बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इसके पहले भी एक और शहर में 5G टेस्टिंग के दौरान कर्इ गायों को भी परेशानी हुई थी। स्विटजरलैंड में भी 5G टेस्टिंग के दौरान गायों की एक झूंड अचानक से जमीन पर गिर गया था। डच फूड एंड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स सेफ्टी अथाॅरिटी ने इन मरे हुए पक्षियों की लैब में टेस्टिंग कर रही है। जिस पार्क में इन पक्षियों की मौत हुई है, उसे पूरी तरह प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। इन पक्षियों का नाम स्टार्लिंग है।
हाॅलैंड के एक एनजीओ के चेयरमैन पिटर कैलिन ने एक वेबसाइट को बताया है, पहले हमें बताया गया था कि माइक्रोवेव से किसी भी जीव को खतरा नहीं होता। लेकिन पर्यावरण मामलों के कई डाॅक्टर्स ने चेतावनी दी है कि 5G तकनीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है। ये बहुत तेजी से जीव जंतुओ के स्किन में अब्जार्ब होता है। इससे कैंसर का भी खतरा भी बढ़ जाता है। 5G के कई प्रोमोटर्स का दावा है कि इससे तकनीक से डाटा ट्रांसफर बहुत अधिक तीव्र हो जाएगा और साथ में एनर्जी व वित्तीय खर्च भी बहुत कम होगा। इसके लिए उच्चतम में रेडियो फ्रिक्वेंसी बैंड्स का इस्तेमाल किया जाना है।