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यूपी विधानसभा चुनाव : इन जातियों को साधने के लिये, बीजेपी ने उतारे दिग्गज

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जाति वोट बटोरने का सबसे आसान और प्रभावी दांव है। बीजेपी भी इससे बेखबर नही है। बीजेपी ने चुनावी टीम के जरिए जातीय और सियासी समीकरण साधने की बड़ी कवायद की है।

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने एक बार फिर मजबूत सामाजिक समीकरण बनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ खास जातियों का वोट पाने के लिये बीजेपी ने उन्ही जातियों के दिग्गजों की टीम को  उतार दिया है। बीजेपी  मुख्यत: ओबीसी, दलित, यादव, ब्राह्मण, जाट और भूमिहार पर फोकस कर रही है।

बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अगुवाई में आठ सदस्यीय टीम का ऐलान किया है। धर्मेंद्र प्रधान को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया है और उनके साथ सात सहप्रभारी बनाए गए हैं। धर्मेंद्र प्रधान को यूपी चुनाव की कमान सौंपी गई है तो उनके साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, सरोज पांडेय, शोभा करंदलाजे, कैप्टन अभिमन्यु, अन्नपूर्णा देवी और विवेक ठाकुर को भी लगाया है।

यूपी में सबसे बड़ी आबादी ओबीसी समुदाय की है। पिछड़ा वर्ग को साधे रखने के लिए जेपी नड्डा ने ओबीसी समुदाय से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान को यूपी चुनाव प्रभारी बनाया है।  धर्मेंद्र प्रधान ने छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड राज्य में प्रभारी रहते हुए ओबीसी के बड़े तबके को पार्टी से जोड़ने का काम किया था। बीजेपी का यह दांव, समाजवादी पार्टी के लिये मुश्किल खड़ी करेगा।

यूपी में जनसंख्या के लिहाज से सबसे अधिक आबादी यादवों की है। प्रदेश में करीब 16 प्रतिशत यादव वोटर है। जो ज्यादातर  समाजवादी पार्टी से जुड़ा माना जाता है। बीजेपी ने पिछले चुनाव में भले ही गैर-यादव ओबीसी को टारगेट किया हो, लेकिन इस बार उसकी नजर अति पिछड़े वोटों के साथ-साथ यादव वोटों पर भी है। सपा के कोर वोट बैंक यादवों को साधने के लिए पार्टी ने यादव समुदाय से आने वाली अन्नपूर्णा देवी को यूपी चुनाव में सहप्रभारी नियुक्त किया है।

यूपी की राजनीति में 22 फीसदी दलित मतदाता है।  सत्ता में आने के बाद से गैर-जाटव दलितों के बीच बीजेपी ने मजबूत पकड़ बनाई है।  ऐसे में बीजेपी दलितों के बीच अपना सियासी आधार और भी मजबूत करने के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सहप्रभारी बनाया है, जो  राजस्थान के दलित समाज से आते हैं।  राजस्थान की सीमा पश्चिम यूपी के बृज क्षेत्र से लगी हुई है, जहां दलित समाज बड़ी संख्या में है।

यूपी में ब्राह्मणों को साधने के लिए सपा से लेकर बसपा तक जुटी हैं और बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी बता रही हैं। ऐसे में बीजेपी ने सरोज पांडेय के जरिए ब्राह्मण समुदाय को एक बड़ा संदेश देने की कवायद की है।  यूपी में ब्राह्मण की नाराजगी को दूर करने का जिम्मा अब सरोज पांडेय के कंधों पर होगा। सरोज पांडेय काफी लंबे समय से बीजेपी में संगठन का काम संभाल रही हैं। वैसे  मोदी सरकार ने पिछले दिनों अपनी कैबिनेट में भी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर यूपी से अजय मिश्रा टेनी को मंत्री बनाकर शामिल किया है।

यूपी में किसान आंदोलन के कारण पश्चिम यूपी में बीजेपी की नईय्या गड़बड़ा रही है। बीजेपी ने जाट समुदाय को बीजेपी के साथ साधकर रखने के लिए हरियाणा के पूर्व मंत्री और जाट समाज से आने वाले कैप्टन अभिमन्यु को यूपी चुनाव का सहप्रभारी नियुक्ति किया है। हरियाणा के सटे हुए पश्चिम यूपी में कैप्टन अभिमन्यु की नातेदारी और रिश्तेदारी भी है। ऐसे में बीजेपी ने अब उनके जरिए जाट की नाराजगी को दूर करने का दांव चला है।

यूपी में भूमिहार समुदाय  वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़ और जौनपुर में अच्छी खासी संख्या है। पूर्वांचल के ये जिले बिहार से सटे हुये है. ऐसे में यूपी में भूमिहारों को साधने का काम बिहार के दिग्गज नेता सीपी ठाकुर के बेटे राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर के कंधों पर होगी।