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यूपी : सभापति को हटाने को समाजवादी पार्टी ने बनाया मुद्दा, किया सदन से बहिर्गमन

लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सभापति को हटाने की नोटिस को खारिज किए जाने पर समाजवादी पार्टी  के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न 11ः00 बजे सभापति कुॅवर मानवेन्द्र सिंह के सभापतित्व में से प्रारम्भ हुई। प्रश्न प्रहर प्रारम्भ होते ही नेता विरोधी दल अहमद हसन एवं सपा के अन्य सदस्यों ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया जिस पर सभापति ने सदस्यों से शून्य प्रहर में अपनी कहने का अनुरोध किया। सदस्य इसे प्रश्न प्रहर में ही उठाना चाहते थे।

सभापति श्री सिंह ने इसके अमान्य करने पर सदस्य शोरगुल करने लगे। जिसपर सभापति ने सदन की कार्यवाही 11ः06 बजे 15 मिनट के लिये कर दी। बाद में स्थगन का समय 12ः00 बजे तक के लिये बढा दिया।

शून्य पहर में अधिष्ठाता सुरेष कुमार त्रिपाठी ने सभापति को हटाने की नोटिस को खारिज किए जाने पर नेता विरोधी दल अहमद हसन ने कहा कि सविधान,कानून को कोई मलतब नहीं रह जायेगा और इस निर्णय से अंस्तुष्ट सपा के सभी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

उसके बाद नियम-223 के तहत विषेशाधिकार प्रस्ताव की सूचना सपा के आनन्द भदौरिया एवं राजेश कुमार यादव ने 18 फरवरी को विधान परिषद के सदस्यों को पुलिस द्वारा रोके जाने पर विशेषाधिकार हनन की सूचना दी। अधिष्ठाता श्री त्रिपाठी ने उसे विशेषाधिकार समिति को संदर्भित किये जाने के निर्देश दिये।

शून्य प्रहार में सपा के सर्वश्री अहमद हसन, राजेन्द्र चौधरी, राम सुन्द्रर दास ‘निषाद’, आनन्द भदौरिया, बासुदेव यादव एवं अन्य सदस्यों ने 17 फरवरी को उन्नाव जिले के असोहा इलाके में दलित समाज के एक ही परिवार के तीन नाबालिक लड़कियों की जिसमें दो लड़कियों की मृत्यु तथा एक मरणासन्न अवस्था में पाये जाने के संबंध में सूचना दी। इसी विषय से संबन्धित कांग्रेस के दीपक सिंह की नियम-111 एवं बसपा के दिनेश चन्द्रा, अतर सिंह, सुरेश कुमार कश्यप, महमूद अली, एवं भीमराव अम्बेडकर की नियम-105 की सूचना को उक्त सूचना के साथ सम्बद्ध किया गया। सूचना की ग्राहय्ता पर कांग्रेस के दीपक सिंह, बसपा के दिनेश चन्द्रा, सपा के आनन्द भदौरिया, सुनील सिंह साजन, शंशाक यादव एवं नेता विरोधी दल ने विचार व्यक्त किये।

नेता सदन ने सदन को तथ्यों से अवगत कराया। सरकार के उत्तर से संतुष्ट न होने के कारण विपक्ष के सदस्यों एवं बसपा के सभी सदस्यों ने भी सदन का त्याग किया। अधिष्ठाता श्री त्रिपाठी ने सूचना पर कार्यस्थगन अस्वीकार कर उसे सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिए संदर्भित किये जाने के निर्देश दिये।