संयुक्त राष्ट्र, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के कुछ सदस्यों पर आतंकवाद के खतरे को “साफ तौर पर नहीं समझ पाने” को लेकर निशाना साधा है। भारत ने स्पष्ट रूप से चीन और पाकिस्तान की तरफ इशारा किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकवादी नेटवर्क नफरत की विचारधारा फैलाने के लिए धन जुटाते हैं, हथियार हासिल करते हैं और समूह के लिए काम करने वाले लोगों की नियुक्ति कर सीमा पार से संचालन करते हैं।
अकबरुद्दीन ने कल ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की समकालीन चुनौतियों’ पर हुई एक खुली चर्चा के दौरान सुरक्षा परिषद से कहा, “यह एक साझा चुनौती है जिस पर परिषद को विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है, यह हमारे समान हितों के लिए ऐसी चुनौती है जिससे निपटने के लिए करीबी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की जरूरत हो सकती है, या है या होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि राज्यों और समाजों के लिए इस साझा खतरे को यहां स्पष्ट तौर पर समझा नहीं जा रहा है। यहां तक कि आतंकवाद से लड़ाई के मुद्दे पर परिषद में सहयोग नहीं होता। अकबरुद्दीन स्पष्ट रूप से चीन के उस फैसले की तरफ इशारा कर रहे थे जिसमें वह पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतकंवादी घोषित करने के भारत के प्रयास को रोकता रहा है।
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और आतंकी संगठनों को चिह्नित करने जैसे गंभीर मुद्दों पर परिषद अधिकृत प्रतिबंध समिति कोई खास तरक्की कर पाने में असफल है और “कई मामलों में संकीर्ण राजनीतिक और रणनीतिक प्रयोजनों” की शिकार हो जाती है।
अकबरुद्दीन ने इसका भी संदर्भ दिया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिह्नित आतंकवादी और मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान में चुनाव लड़ने की तैयारी में है। उन्होंने कहा, “जिन मामलों में प्रतिबंध समिति ने आतंकवादियों को चिह्नित किया है, उनमें कुछ ऐसे देश भी हैं जो अंतरराष्ट्रीय नियमों का पूरी तरह निरादर करते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिह्नित आतंकियों को अपनी राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल कर रहे हैं जो अंतत: हमारी साझा सुरक्षा को जोखिम में डाल रहा है।