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मुख्यमंत्री योगी ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बताया, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि प्रदेशवासियों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि योगी ने बिना भेदभाव गांव-गरीब और समाज के अन्तिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाने के निर्देश दिये हैं

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उन्होंने कहा कि प्रदेश की 23 करोड़ जनसंख्या को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिए चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को प्रतिबद्ध होकर कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री आज यहां लोक भवन में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।इस बैठक में प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं उनसे उच्चस्तर के विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों का यह सम्मेलन आयोजित किया गया है। उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि इस आयोजन में लिए गए निर्णयों को पूरी निष्ठा के साथ क्रियान्वित करें। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक स्तर के चिकित्सालय में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। मरीजों के लिए दवाओं की उपलब्धता का भी नियमित तौर पर सत्यापन किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक भारत को क्षय रोग से मुक्त करने का संकल्प लिया है। इसे लागू करने के लिए जागरूकता अभियान में तेजी लायी जाए।

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उन्होंने कहा कि आगामी 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस है। आरोग्य केन्द्रों पर योग प्रशिक्षण की व्यवस्था करके लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए जागरूक करने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से वेक्टर जनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण करने में सफलता प्राप्त हुई है। इसके लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज, गोरखपुर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 40 वर्ष से इस चिकित्सा संस्थान में हर वर्ष इंसेफेलाइटिस के 500 से 600 मरीज भर्ती होते थे, जिनमें से 150 से 200 बच्चों की मृत्यु हो जाती थी। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा किये गये प्रयासों से पूर्वांचल में इस रोग को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफलता मिली है। गत वर्ष यहां इस रोग से पीड़ित 86 बच्चे भर्ती हुए थे और छह की मृत्यु हुई।

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