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गांवों में काम करने वाले डॉक्टरों को पीजी पाठ्यक्रम में मिलेगा आरक्षण

Subhash-Bhamreनई दिल्ली,  सरकार ने कहा है कि ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों में लगातार तीन वर्ष तक सेवाएं देने वाले डॉक्टरों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में 50 फीसदी आरक्षण देने की तैयारी की जा रही है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने लोकसभा में आज एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि ग्रामीण और दूर दराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और उपलब्धता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ऐसे इलाके में लगातार तीन साल तक काम करने वाले डाक्टरों को पीजी पाठ्यक्रम में 50 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मंत्रालय की ओर से भारतीय चिकित्सा परिषद्र संशोधन विधेयक 2016 में एक नयी धारा जोडने का मसौदा तैयार किया गया है। श्री भामरे ने कहा कि इसके तहत राज्य सरकारें और केन्द्र शासित प्रदेश अपने यहां के सरकारी मेडिकल कॉलेज में ये आरक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि गांवों में काम करने वाले डाक्टरों को हर साल दस अंक बोनस के रूप में दिए जाएंगे। तीन साल में ये बोनस अंक तीस हो जाएंगे। इनके आधार पर आरक्षण की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि आरक्षण मिलने के बाद अगले तीन वर्ष तक के लिए भी ऐसे डाक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए कहा जा सकता है। एक अन्य सवाल के जवाब में श्री भामरे ने कहा कि उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है जिसमें कहा गया है कि देश के 70 फीसदी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के गठन की तैयारी की जा रही है। चूंकि स्वास्थ्य क्षेत्र राज्य सूची का मामला है इसलिए राज्य सरकारों को ही इसमें पहल करनी होगी। केन्द, उन्हें जरूरी वित्तीय मदद उपलब्ध कराने का काम करता रहेगा।

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