भर्ती घोटाले पर आजम खां बोले-अब तो दो ही लोग ईमानदार रह गए …?
April 26, 2018
लखनऊ, उत्तर प्रदेश जल निगम भर्ती घोटाले को लेकर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व शहरी विकास मंत्री मोहम्मद आजम खान सहित पांच लोगों के खिलाफ विशेष जांच दल ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। इस पर पूर्व मंत्री आजम खां ने प्रतिक्रिया दी कि जब हमारे जैसे व्यक्ति के गिरेबान पर हाथ डाला जा सकता है, तो फिर कोई गिरेबान बचेगा ही नहीं। अब तो दो ही लोग ईमानदार रह गए एक मोदी जी और दूसरे योगी जी।
इस मामले में आजम खां के अलावा उनके निजी सचिव सैयद अफाक, पूर्व सचिव नगर विकास एस पी सिंह, एमडी पीके अशुदानी और चीफ इंजीनियर अनिल कुमार खरे के खिलाफ एसटीआई ने मामला दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून, गबन एवं धोखाधड़ी का भारतीय दण्ड संहिता की धारा 409, 420, 201 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा परीक्षा कराने वाली कंपनी अप्टेक को भी गड़बड़ियों में शामिल होने का जिम्मेदार माना गया है। एफआईआर में कंपनी का भी जिक्र किया गया है। हालांकि अप्टेक के किसी अधिकारी को नामजद नहीं किया गया है।
आजम खां ने कहा कि भर्ती का हमसे कोई मतलब ही नहीं है, क्योंकि भर्ती के लिए कानूनन जल निगम का एमडी ही अधिकृत होता है। वही परीक्षा लेता है। किसी कंपनी ने परीक्षा कराई थी। सुना यह है कि किसी फाइल पर हमारे दस्तखत करा लिए हैं, लेकिन हमने उस पर सहमत लिखा है अनुमोदित नहीं लिखा है। उन्होने कहा कि किसी भी भर्ती के विज्ञापन, परीक्षा, तैनाती के लिए मंत्री या चेयरमैन से कोई मतलब ही नहीं होता है, यह जल निगम का नियम है। यदि कहीं हस्ताक्षर हैं तो मेरे हस्ताक्षर गैर कानूनी हैं। इसका मतलब यह हुआ कि यदि मेरे पास हस्ताक्षर के लिए कोई आया तो उसकी यह मंशा थी कि उसने अपने आप को बचाने के लिए ऐसा किया हो। जब हम अधिकृत ही नहीं हैं, तो हमारे ऊपर कोई चार्ज बनता ही नहीं है।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमसे सिर्फ एक गलती हो गई कि हमने अपने आप को सेक्यूलर साबित करने के लिए कुछ नहीं किया। मेरिट में दो चार मुसलमान बच्चे आ गए थे, जिन्हें काटा नहीं जा सकता। दो चार मुसलमानों को रोजगार मिल गया हमसे यह खता हो गई है। उसमें 98 फीसद बच्चे हिंदू हैं, उनका अहित नहीं होना चाहिए। कानूनी पहलू यह है कि बच्चे हाईकोर्ट से मुकदमा जीते। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, वहां उनकी याचिका खारिज हो गई। इसके बाद बच्चों ने हाईकोर्ट में अवमानना दाखिल की, जिसमें हाईकोर्ट ने चार हफ्ते में बच्चों को ज्वाइनिंग कराने के आदेश दिए हैं। जब यह ठीक है तो फिर हम कहां गलत हैं। अब इसकी जो भी सजा होगी हम भुगतेंगे। जब चाहें आएं और हथकड़ी डालकर ले जाएं।