विकास कार्यों की समीक्षा करने एक गांव में गई जिले की उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के दलित होने के चलते गांव के प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने उन्हें कथित तौर पर बर्तन में पानी देने से इनकार कर दिया। घटना से आहत उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने जिलाधिकारी से इस संबंध में शिकायत की है।
उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 सीमा ने बताया कि डीपीआरओ के निर्देश पर वह मंगलवार को मंझनपुर विकास खण्ड के अंबावां पूरब गांव गईं थीं। वहां उनकी बोतल का पानी खत्म हो गया था। इस पर उन्होंने ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान से पानी मांगा। दोनों ने उनके दलित होने के कारण बर्तन में पानी देने से इनकार कर दिया। जब उन्होंने ग्रामीणों से पानी मांगा तो प्रधान और वीडीओ ने उन्हे भी इशारा कर पानी देने से मना कर दिया।
घटना से आहत होकर उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने, इस संबंध में, जिलाधिकारी मनीष वर्मा से इस संबंध में शिकायत की। जिलाधिकारी मनीष वर्मा ने बताया कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया है। डिजिटल युग मे जी रहे किसी भी सभ्य समाज के लिये एेसी घटनायें निशचित ही ठेस पहुंचाने वाली है। बीमार मानसिकता के लोग केवल जाति के आधार पर मनुष्य से जानवर से भी बद्तर व्यवहार करतें हैं, क्योंकि उनमे न तो नैतिकता है नाही कानून का डर।
कौशांबी, यूपी मे जातीय भेदभाव की एक और शर्मनाक घटना सामने आयी है। दलित होने के कारण एक अफसर को पीने का पानी तक देने से इंकार कर दिया गया।
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विकास कार्यों की समीक्षा करने एक गांव में गई जिले की उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के दलित होने के चलते गांव के प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने उन्हें कथित तौर पर बर्तन में पानी देने से इनकार कर दिया। घटना से आहत उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने जिलाधिकारी से इस संबंध में शिकायत की है।
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