सपा-बसपा का हाथ मिलवाने मे आखिर किसका रहा हाथ, जानिये क्या है हकीकत ?
March 5, 2018
लखनऊ, बीएसपी ने भले ही वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ की घोषणा का औपचारिक ऐलान अभी न किया हो, लेकिन यूपी की इन दो बड़ी पार्टियों के बीच 23 साल से चली आ रही टकराहट खत्म हो गई है। लेकिन यह फैसला यूं ही नहीं हुआ है। इसके लिए 6 दिनों तक दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक बातचीत हुई।
बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। सूत्रों के अनुसार, इसकी शुरुआत 27 फरवरी को उस समय हुई, जब समाजवादी पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले राम गोपाल यादव ने इस मुद्दे की चर्चा बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से की। दोनों नेताओं ने गठजोड़ की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा की। इसके बाद दोनों नेताओं ने अपने-अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को हुई बातचीत से अवगत कराते हुये आगे की बातचीत के लिये दिशानिर्देश भी लिये।
दिशानिर्देश मिलने के बाद अगले दौर की बातचीत में समर्थन की शर्तों पर विस्तृत बातचीत हुई। दूसरे दौर की बातचीत में दोनों ही पक्षों ने राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में एक-दूसरे का समर्थन करने पर सहमति जताई। यह फैसला लिया गया कि समाजवादी पार्टी राज्यसभा चुनाव में बीएसपी का समर्थन करेगी, बीएसपी विधान परिषद चुनाव में समाजवादी उम्मीदवारों को अपना समर्थन देगी।
सूत्रों के अनुसार, इसके बाद जमीनी फीड बैक लेने के लिये बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इस मुद्दे पर 1 मार्च को पार्टी के क्षेत्रीय कोऑर्डिनेटरों के साथ बैठक में चर्चा की। मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ करने की संभावनाओं पर जमीनी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने के लिए कहा। वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश ने एमएलसी उदयवीर सिंह को जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने के लिए कहा।
सूत्रों के अनुसार, 2 मार्च को मायावती ने बसपा कोऑर्डिनेटरों को निर्णय की जानकारी देते हुये घोषणा करने के लिये आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये। 4 मार्च को बसपा कोऑर्डिनेटरर्स ने सपा नेताओं की मौजूदगी में सपा उम्मीदवारों को सपोर्ट करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हम ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं जो बीजेपी को हरा सके। इस तरह 6 दिन की लंबी बातचीत के बाद 23 साल बाद सपा और बसपा के हाथ मिल गये।