हिंदुस्तान की न्यायिक व्यवस्था खतरे में, मोदी सरकार अपने लोगों को लाना चाहती है- कांग्रेस
April 26, 2018
नई दिल्ली, कोलेजियम में जस्टिस जोसेफ के नाम पर दोबारा विचार को लेकर कांग्रेस ने हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा कि, हिंदुस्तान की न्यायिक व्यवस्था खतरे में है, मोदी सरकार अपने लोगों को न्यायिक व्यवस्था में लाना चाहती है.
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि, हिंदुस्तान की न्यायिक व्यवस्था खतरे में है, मोदी सरकार अपने लोगों को हाईकोर्ट में पैक्ड करना चाहती है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि केएम जोसेफ सबसे काबिल जज हैं. उसके बावजूद उनकी नियुक्ति नहीं हुई.
कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार केवल वही जज चाहती है जिन पर उनकी सहमति हो. सरकार कोलेजियम को नजरअंदाज कर रही है. सरकार का एक ही फंडा है कि हम जिनसे समहत नहीं होंगे, उसकी नियुक्ति की मंजूरी नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की न्यायपालिका खतरे में है. अगर इसकी सुरक्षा नहीं की जाती है तो लोकतंत्र खतरे में है.
उन्होंने कहा कि जिस व् ने इस पर पहली पीआईएल दाखिल की है, वह नागपुर से हैं और उनका नाम सूरज लोलगे है. सूरज लोलगे बीजेपी और आरएसएस के खासम-खास हैं. वो भाजपा से म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में टिकट की मांग भी कर चुके हैं. उन्होंने टिकट के लिए पैसे भी जमा किए, हमारे पास रसीद है. वह भाजपा कार्यकर्ता और स्वयंसेवक हैं. कांग्रेस ने इस बारे में कई स्लाइड भी दिखाए. जिसमें वे भाजपा नेताओं के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. कपिल सिब्बल ने कहा कि पीआईएल के पीछे मकसद क्या था यह हमें नहीं पता. हां…उनकी बातचीत हमारे पास है. जिसमें वह कहते हैं कि भैयाजी जोशी की वजह से उन्होंने पीआईएल दाखिल की है. यह बातचीत फरवरी 2018 की बातचीत है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट में जजों की कुल 771 अप्रूव संख्या है, जबकि टोटल 1079, उसमें 410 खाली है. सरकार जजों के नियुक्ति की मंजूरी नहीं दे रही है. सरकार अपने लोगों से हाइकोर्ट को पैक करना चाहती है. इलाहाबाद में अकेले 60 वैकेंसी है, कलकत्ता में 39, गुजरात में 22, एमपी में 21, राजस्थान में 17. वैकेंसी नहीं होने पर नुकसान आम जनता का हो रहा है. उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने कहा कि आखिर कौन बोलेगा स्वायत्तता के लिए? क्या न्यायपालिका बोलेगी? हम महीनों से यह मुद्दा रख रहे हैं. मैं वकीलों से भी पूछना चाहता हूं कि क्या वे खड़े होंगे केंद्र के खिलाफ? लोया की मृत्यु की जांच के बारे में कई पीआईएल फाइल हैं. पीआईएल की वजह से कई बदलाव हुए, कोर्ट ने कहा कि कहीं न कहीं इसका दुरुपयोग हुआ है.