नई दिल्ली, आपको जानकर हैरानी होगी कि सर्च इंजन गूगल पर यदि आप Idiot शब्द टाइप करके इमेज पर क्लिक करते हैं तो आपके सामने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर दिखाई देगी। जिस पर अमेरिकी सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सीईओ सुंदर पिचई से सवाल किया कि आखिर ऐसा क्यों…जिसका पिचई ने कुछ इस तरह खुलासा किया…
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इसके जवाब में सुदंर पिचाई ने कहा कि ये सब तकनीकी कराणों से होता है। कोई भी जानबूझकर डोनाल्ड ट्रंप की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं कर रहा है। इसमें किसी भी मनुष्य का हस्तक्षेप नहीं है। खबरों के मुताबिक, पिचई ने कहा कि गूगल सर्च में जब कोई यूजर कीवर्ड डालता है तो वो एल्गोरिथम के आधार पर उस वेबपेज और फोटो को खोजता है।
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पिचाई ने कहा कि गूगल के सर्च इंजन को इस तरह से बनाया गया है कि जब भी किसी शब्द को बार-बार ढूंढा जाता है तो सर्च इंजन उस कीवर्ड को लोकप्रिय श्रेणी में शामिल कर लेता है। पिचाई के इस जवाब से अमेरिकी कांग्रेसमैन जो लोफग्रेन खुश नहीं हुए। उन्होंने कहा कि इसके मायने यह हैं कि पर्दे के पीछे बैठकर कोई कुछ भी डिजाइन करता रहे? इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात के लिए गूगल को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। उनका कहना है कि जब से उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाला है तभी से मीडिया उनकी गलत छवि प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है।
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इस दौरान पिचाई ने गूगल के सोशल नेटवर्किंग पोर्टल ‘प्लस’ से लोगों की निजी जानकारियों के लीक होने पर कंपनी द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी सांसदों के उन सवालों का भी जवाब दिया, जिसमें पूछा गया था क्या वह चीन के बाजार में फिर से प्रवेश के लिए वहां की सरकार की मांगों को मान सकती है। समिति के सवालों के जवाब में पिचाई ने कहा, “हम अपने उत्पादों को सुरक्षित बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। हमने उन्हें मानकों पर बनाये रखने के लिए नियंत्रण और संतुलन संबंधी कई कदम उठाए हैं।”
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पिचाई संसद की न्यायिक समिति के समक्ष पेश हुए। इससे पहले उन्होंने अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने में दूसरे देशों की सरकारों की भूमिका को लेकर बयान देने के लिए सीनेट की एक समिति के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था। अक्तूबर में गूगल ने अपनी सोशल मीडिया वेबसाइट ‘प्लस’ को बंद करने का ऐलान किया था। कंपनी ने मार्च में इस वेबसाइट के जरिए लगभग पांच लाख लोगों की निजी सूचना के चोरी होने की बात सामने आने के बाद यह घोषणा की थी।
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वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक खबर में कहा गया है कि गूगल ने तब जानबूझकर आंकड़ों में सेंध की खबर को सार्वजनिक नहीं किया। इसके पीछे उसका मकसद नियामकीय जांच से बचना और कंपनी की छवि को धूमिल होने से बचाना था। हालांकि यह मामला सामने आने के बाद सांसद डेटा की रक्षा में विफल रहने को लेकर गूगल का स्पष्टीकरण चाहते थे।