लखनऊ , उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाजपार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है. उनके खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है.
ये मामला उनके शासन काल के दौरान वर्ष 2010-11 में बेची गई 21 चीनी मिलों से जुड़ा है. बताया जा रहा है इन चीनी मिलों को बेचे जाने से प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इस कार्रवाई में मायावती के अलावा उनके करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दिकी भी फंस सकते हैं. संभावना जताई जा रही है कि आज मायावती इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकती हैं.
उत्तर प्रदेश में 2007 से लेकर 2012 तक सत्ता में रहीं. मायावती के करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पिछले साल आरोप लगाया था कि चीनी मिलें तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के इशारे पर बेची गई थीं. हालांकि मायावती ने दावा किया था कि चीनी मिलों को बेचने के लिए जो आदेश हुआ था, उस पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी के हस्ताक्षर हैं.
मायावती सरकार पर आरोप है कि उन्होंने 21 चीनी मिलों को बेचा. इनमें से 10 मिलें संचालित हो रही थीं. इन्हें बाजार की कीमतों से बहुत कम कीमत पर बेचा गया. ये चीनी मिलें 500 हेक्टेयर पर बनी थीं और तब इनकी कीमत 2,000 करोड़ रुपये थी.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घोटाले की जांच कराने के लिए सीबीआई को 12 अप्रैल 2018 को पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि प्रदेश की जो भी 21 चीनी मिलें बीचे गईं, वह सब फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाई गईं बोगस कंपनियों ने खरीदीं. जो चीनी मिलें खरीदी गईं उनमें से देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, चित्तौनी और बाराबंकी की बंद पड़ी सात चीनी मिलें भी शामिल थीं.
योगी सरकार ने इस मामले में जो नोटिफिकेशन जारी किया उसमें लिखा है कि संभव है कि दोषी प्रदेश के बाहर का भी हो सकता है इसलिए सीबीआई इसकी जांच करे. प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि नीलाम की गईं 21 चीनी मिलों में विसंगतियां पाई गई थीं इसलिए अब सीबीआई को इसकी जांच सौंपी गई है.