चुनाव आयोग ने पेश की नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, जानिये कितनी भरोसेमंद ?

चुनाव आयोग ने  थर्ड जनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को पेश की है। चुनाव आयोग ने इस नई ईवीएम को मार्क 3 नाम दिया है। अगले महीने होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव इसी नेक्स्ट जनरेशन मार्क 3 ईवीएम से होंगे।

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 पिछले वर्ष से चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे. विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम में छेड़छाड़ और हैकिंग की आशंका व्यक्त कर चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी. चुनाव आयोग का कहना है कि  इस नई जनरेशन ईवीएम मार्क थ्री की कई खासियतें हैं. इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और न ही दोबारा लिखा जा सकता है.

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 इंटरनेट या किसी नेटवर्क से इस ईवीएम को लिंक नहीं किया जा सकता है. अगर कोई इसे ओपन करना चाहे या छेड़छाड़ करना चाहे तो एक स्‍क्रू भी हटने पर यह ईवीएम ऑटोमैटिक शटडाउन हो जाएगी.पुराने मार्क 2 ईवीएम में सिर्फ 4 बैलेट यूनिट और 64 कैंडिडेट की जानकारी सेव होती थी. अब नए ईवीएम में 24 बैलेट यूनिट और 384 कैंडिडेट की जानकारी सेव की जा सकती है.

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 मई में कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव नई EVM मशीनों से होंगे. ट्रायल के तौर पर कर्नाटक चुनाव में 1800 सेंटरों पर नए ईवीएम का इस्‍तेमाल होगा.  2019 आम चुनाव में हर सेंटर पर इसे इस्‍तेमाल करने की योजना है. चुनाव में इस्‍तेमाल होने वाले ईवीएम भारत में तैयार होते हैं. इसे भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड और बेंगलुरु एंड इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स कॉरपोरेशन ऑफ इंड‍िया तैयार करती है. सॉफ्टवेयर भी यही लिखे जाते हैं. इसके बाद ही उसे चिप बनाने वाली अमेरिकी या जापानी कंपनियों को दिया जाता है.

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