नई दिल्ली, गुजरात में पाटीदार समुदाय के फायरब्रांड नेता हार्दिक पटेल को 2015 हिंसा से जुड़े मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई है. पटेलों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा के लिए गुजरात के विसनगर कोर्ट की ओर से हार्दिक पटेल को सजा सुनाई गई है. हार्दिक को भारतीय जनता पार्टी के विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय के बाहर आगजनी और हंगामा करने के आरोप में दोषी पाया गया है.
अदालत ने दोनों आरोपियों को IPC की धारा 147, 148, 149, 427 और 435 के तहत दोषी करार दिया था. अदालत ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने फैसले में कहा है कि दोनों से ली गई एक लाख रुपये की जुर्माना राशि को विधायक को मुआवजा के तौर पर दी जाएगी. आपको बता दें कि मेहसाणा के विसनगर में साल 2015 में हुए पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल और 16 अन्य के नेतृत्व में 500 लोगों ने बीजेपी विधायक के दफ्तर पर हमला किया गया था.
कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब 25 अगस्त से हार्दिक पटेल सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के सदस्यों को आरक्षण की मांग पर जोर देने के लिए वह 25 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह आमरण अनशन उनकी अंतिम जंग होगी. पटेल ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट विडियो संदेश में कहा कि अपने समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण प्राप्त करना उनकी प्राथमिक चिंता है.
उन्होंने कहा, ‘यह हमारी आखिरी लड़ाई है. या तो मैं अपनी जान दे दूंगा या हम आरक्षण प्राप्त करेंगे. इसके लिए हमें आपके समर्थन की जरूरत है. यह लड़ाई आखिरी चरण में आ गई है. यह आमरण अनशन मेरी अंतिम जंग की तरह होगी.’ हार्दिक ने कहा था कि आरक्षण हमारा प्राथमिक मुद्दा है और हम इसके लिए लड़ना जारी रखेंगे. 25 अगस्त को पाटीदार क्रांति दिवस के तौर पर मनाया जाता है और मैं उस दिन से आमरण अनशन पर बैठूंगा. हमें आरक्षण मिलेगा, लेकिन तभी जब हम एक साथ आकर इसके लिए लड़ेंगे. हम आपसी झगड़े की वजह से काफी पीछे होते जा रहे हैं.