शिवपाल यादव को श्रीकृष्ण वाहिनी का मिला समर्थन, रणनीति का किया खुलासा
September 11, 2018
लखनऊ, समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने अपने कदम वापस लेने की सभी संभावनाओं को नकारते हुये साफ कहा है कि अब वह समाजवादी और सेक्यूलर मूल्यों के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेंगे और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। यह घोषणा आज शिवपाल सिंह ने श्रीकृष्ण वाहिनी के पदाधिकारियों के राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन मे की।
श्रीकृष्ण वाहिनी के पदाधिकारियों का राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन आज लखनऊ मे संपन्न हुआ। श्रीकृष्ण वाहिनी के अध्यक्ष विजय यादव ने सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि प्रदेश मे तेजी से बदलते राजनैतिक और सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुये शार्ट नोटिस पर यह सम्मेलन बुलाया गया। जिसमे भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों के अनुरूप ही अन्याय की लड़ाई लड़ रहे शिवपाल सिंह यादव को श्रीकृष्ण वाहिनी ने अपना पूरा समर्थन देने का निर्णय लिया है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चे को अपना समर्थन देने वाले अन्य संगठनों मे निषाद संघ, सामाजिक न्याय मोर्चा, यादव सेना आदि शामिल हैं।
श्रीकृष्ण वाहिनी के प्रदेश महासचिव अशोक यादव ने कुछ प्रमुख समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट कराया और सरकार से यह मांग की है कि वह जल्द से जल्द खाली पड़े सभी रिक्त पदों को भरकर, बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओ को राहत प्रदान करे। उन्होने सरकारी नौकरी पाने के लिये सरकार द्वारा बेरोजगारो से लिये जाने वाले आवेदन-शुल्क को भी तुरंत समाप्त करने की मांग की। साथ ही जेलों मे क्षमता से अधिक रखे जारहे कैदियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को सरकार से खत्म करने तथा मानवाधिकार आयोग से इसका संज्ञान लेने की मांग की।
राज्य प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुये शिवपाल यादव ने श्रीकृष्ण वाहिनी सहित समर्थन देने वाले अन्य दलों को धन्यवाद देते हुये हुये कहा कि हम समान विचारधारा वाली छोटी पार्टियों के साथ मिलकर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उन्होने कहा कि हम समाजवादी और सेक्यूलर मूल्यों के साथ चुनाव में उतरेंगे और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहाकि हमारी लड़ाई को किसी गठबंधन या पार्टी विशेष के संदर्भ में मत देखें।
शिवपाल सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुये कहा कि अगर हमें किसी अन्य दल में जाना होता तो न हमारे पास प्रस्तावों की कमी थी और न ही अवसरों की। शिवपाल ने कहा कि सपा को एकजुट रखने के लिए मैं जो कुछ कर सकता था, मैंने किया लेकिन सपा को उसकी मूल विचारधारा की ओर लौटाने के मेरे सारे प्रयास व्यर्थ साबित हुए। सम्मेलन मे बड़ी संख्या मे प्रदेश के कोने-कोने से प्रतिनिधि आये थे।