नई दिल्ली, मोदी सरकार ने बीको लॉरी लिमिटेड को बंद करने का फैसला किया है. पेट्रोलियम कंपनियों ने लंबे समय से बीमार ब्रिटिश काल की इस इकाई को खरीदने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
ब्रिटिश काल में शुरू हई कंपनी बीको लॉरी को सरकार सिर्फ 153 करोड़ रुपये में बेचने को तैयार थी. लेकिन सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां भी इसे खरीदने को तैयार नहीं हुईं. असल में तेल मार्केटिंग कंपनियां तो पहले से ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर परेशान हैं. ऐसे में कोई भी कंपनी बीको लॉरी को खरीदने के लिए तैयार नहीं हुई. तेल कंपनियाें का यह भी कहना था कि बीको लॉरी अब जिस काम में लगी थी, वह उनके कारोबार से मेल नहीं खाता.
सरकार ने जाने-माने कंसल्टेंट केपीएमजी से भी इस बारे में राय ली थी. केपीएमजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अब इस कंपनी के फिर से उभर सकने की ‘शून्य संभावना’ है. केपीएमजी ने कहा था कि यदि कोई खरीदार नहीं मिलता तो कंपनी को बंद कर देना चाहिए.
कंपनी में करीब 300 कर्मचारी हैं. कानून एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस कंपनी को बंद करने का ऐलान करते हुए कहा कि कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के द्वारा बाहर जाने का विकल्प दिया जाएगा. पेट्रोलियम मंत्रालय इसके पहले इस बात पर भी विचार कर रहा था कि केंद्र सरकार द्वारा ब्याज रहित 153.20 करोड़ रुपये के बजट सपोर्ट से कंपनी को उबारा जाए और इस निवेश के बदले सरकार को इक्विटी मिले.
बंद हो चुकी पॉलिसी का पैसा वापस पाने का आखिरी मौका…