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पैसा फेंको-डाक्टर बनो : जीरो नंबर पाने वाले सैकड़ों छात्रों को, एमबीबीएस में मिला दाखिला

नई दिल्ली, देश की शिक्षा व्यवस्था मे पैसा किस कदर हावी हो गया है कि अब डाक्टर बनने के लिये जरूरी एमबीबीएस के कोर्स मे भी कंपटीशन मे  जीरो अंक पाने के बावजूद आप लाखों खर्चकर एडमिशन पा सकतें हैं।  यह खुलासा अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र टाईम्स आफ इंडिया ने अपनी एक स्टडी मे किया।

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टाईम्स आफ इंडिया ने उन 1,990 छात्रों के मार्क्स का विश्लेषण किया जिनका मेडिकल कोर्सों के लिये आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा NEET (नीट)  2017 में ऐडमिशन हुआ और उनके मार्क्स 150 से भी कम है। विश्लेषण मे, 530 ऐसे स्टूडेंट्स सामने आए जिनको फिजिक्स, केमिस्ट्री या दोनों में जीरो या सिंगल डिजिट में नंबर मिले।

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प्रवेश परीक्षा NEET में कम से कम 400 छात्रों को फिजिक्स और केमिस्ट्री में सिंगल डिजिट में नंबर मिले और 110 छात्रों को जीरो नंबर। फिर भी इन सभी छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिल गया। इससे यह सवाल उठता है कि जीरो नंबर मिलने के बाद भी अगर इन छात्रों को ऐडमिशन मिल सकता है तो फिर टेस्ट की क्या जरूरत रह जाती है?

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2017 में 60,000 सीटों के लिए साढ़े छह लाख से ज्यादा छात्रों ने क्वॉलिफाई किया। इनमें से 5,30,507 छात्रों को प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला । इन लोगों ने औसतन ट्युशन फीस के तौर पर प्रति छात्र 17 लाख रुपये प्रति वर्ष का भुगतान किया, जिसमें हॉस्टल, मेस, लाइब्रेरी और अन्य खर्च शामिल नहीं है।

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इससे आप अनुमान लगा सकतें हैं कि कैसे पैसे के बल पर नीट में कम नंबर आने के बाद भी छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है। इनमें से आधे से ज्यादा छात्र डीम्ड यूनिवर्सिटी में हैं । सबसे खास बात यह है कि इन डीम्ड यूनिवर्सिटियों को अपना खुद का एमबीबीएस एग्जाम आयोजित करने का अधिकार है। अगर ये छात्र एग्जाम क्लियर कर लेते हैं तो वे डॉक्टर के तौर पर खुद का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे और प्रैक्टिस भी कर सकेंगे।

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