लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर पीपीपी मॉडल के तहत सौर संयंत्र लगाएगी, जिसके माध्यम से 550 मेगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने गुुरुवार को बताया कि सरकार ने इसके लिए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर 1700 हेक्टेयर भूमि भी चिन्हित की है। कई बड़ी कंपनियां इस परियोजना में दिलचस्पी ले रही हैं। इस परियोजना के पूरा होने पर एक्सप्रेसवे से जुड़े एक लाख घरों को प्रतिदिन रोशन किया जा सकेगा। इस परियोजना की लाइफ 25 वर्ष होगी, जबकि पे बैक पीरियड 10 से 12 वर्ष निर्धारित किया गया है।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) इस परियोजना को मूर्त रूप देने में जुटा है। वर्तमान में परियोजना से जुड़ी ड्यू डिलिजेंस स्टडी पूरी हो चुकी है, जबकि एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई स्टेज) भी अगस्त 2023 में पूरा हो चुका है। यही नहीं परियोजना के लिए डेवलपर्स के चयन के लिए प्रस्ताव के लिये अनुरोध (आरएफपी) को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। बोली प्रक्रिया के भी जल्द शुरू होने की संभावना है। आठ प्रमुख सोलर पावर डेवलपर्स ने अक्टूबर 2023 में प्रेजेंटेशन पूरा कर लिया है। इनमें टस्को लि., टोरेंट पावर लि., सोमाया सोलर सॉल्यूशंस प्रा. लि., 3 आर मैनेजमेंट लि., अवाडा एनर्जी लि., एरिया बृंदावन पावर लि., एरिशा ई मोबिलिटी और महाप्राइट शामिल हैं।
सूत्रों का मानना है कि इस परियोजना को भविष्य में एक्सप्रेसवे के किनारे विकास के लिए ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही ई-मोबिलिटी के लिए आधारशिला के तौर पर देखा जा रहा है। इस परियोजना के पूर्ण होने पर बड़ी मात्रा में ग्रीन एनर्जी जेनरेट होगी। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होगा और जलवायु परिवर्तन की दर में कमी आएगी। एक एनर्जी सोर्स में वृद्धि होगी, जिससे ओपन ग्रिड एक्सेस के रूप में आर्थिक गतिविधियों में भी इजाफा होगा। इसके माध्यम से स्थानीय रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही, बिजली का उपयोग आस-पास के समुदायों द्वारा किया जा सकता है।