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नफरत से भरे भाषण और सोशल मीडिया पर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव का अहम बयान

संयुक्त राष्ट्र,  उदारवादी लोकतंत्रों और सत्तावादी देशों में नस्लवाद और असहिष्णुता बढ़ने पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि नफरत से भरे भाषण सोशल मीडिया के जरिए ‘जंगल में आग की तरह फैल’ रहे हैं। गुतारेस ने कहा, ‘‘ मैं विदेशी लोगों को पसंद नहीं करने की मानसिकता, नस्लवाद और अहिष्णुता के उभार के मौजूदा दौर से बहुत चिंतित हूं।’’

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उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि नफरत भरे भाषण मुख्यधारा में आ रहे हैं और सोशल मीडिया तथा रेडियो के जरिए जंगल में आग की तरह फैल रहे हैं। हम देखते हैं कि यह उदारवादी लोकतंत्रों और सत्तावादी देशों में यह एक समान रूप से फैल रहे हैं। यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस के मौके पर आयोजित किया गया था।

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गुतारेस ने न्यूजीलैंड की मस्जिदों पर आतंकी हमले का जिक्र किया जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने इसे ‘‘ऐसे जहर से उपजी नई त्रासदी’’ करार दिया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अपनी एकजुटता और अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए पिछले शुक्रवार को न्यूयॉर्क में स्थित इस्लामिक स्टेंर का दौरा किया था। उन्होंने कहा, ‘‘आज और हर दिन हमें नस्लवाद, धार्मिक नफरत, आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से खड़ा होना चाहिए।’’

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गुतारेस ने नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, विदेशियों को नापसंद करने, सामाजिक और जातीय भेदभाव समेत असहिष्णुता, मुस्लिम विरोधी नफरत और यहूदी विरोधी घृणा को खत्म करने के वायदे को फिर से दोहराने और उसपर अमल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कोई भी देश विदेशियों को नापसंद करने की मानसिकता और नस्लवाद से अछूता नहीं है। यह ताकतें लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक स्थिरता और शांति के लिए खतरा हैं। यह महिलाओं, अल्पसंख्यकों और शरणार्थियों पर प्रतिकूल असर डालती हैं।

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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि जब लोगों पर उनकी नस्ल, धर्म, या जाति की वजह से शारीरिक तौर पर या मौखिक रूप से या सोशल मीडिया के जरिये हमला किया जाता है तो पूरा समाज अपमानित होता है। इसलिए यह अहम है कि हम समानता के सिद्धांतों और मानव गरिमा की रक्षा के लिए साथ आएं और एकजुट हो कर खड़े हों। गुतारेस ने कहा कि हमें नस्लीय श्रेष्ठता की हानिकारक और विशिष्ट धारणा को खत्म करने के लिए सभी को साथ जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने नव-नाजी सोच और श्वेत वर्चस्ववादी विचारधारा के हालिया उभार को खत्म करने पर जोर दिया।

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महासभा की अध्यक्ष फर्नांडा एस्पिनोसा ने कहा कि नफरत से भरे भाषण अभिव्यक्ति की आजादी नहीं हैं बल्कि नस्लवाद हैं। हर समस्या के लिए प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराना बंद करना चाहिए और संकीर्ण सोच रखने वाले राष्ट्रवादियों को वैश्विक समाधानों की खोज को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

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