Breaking News

विजय माल्या जैसे अपराधियों के 1.25 लाख करोड़ के कर्ज माफ कर रही मोदी सरकार

note-b_1478679036नई दिल्ली, मोदी सरकार के सत्ता में आए ढाई साल गुजर चुके हैं लेकिन अब तक स्विस बैंक खाताधारकों की सूची क्यों नहीं ला रहे हैं? 500 करोड़ रूपए से अधिक कर्जधारकों के रिण को बट्टे खाते में क्यों डाल दिया गया? ये माल्या जैसे अपराधियों के कर्ज माफ कर रहे हैं और ऐसे लोगों पर 1.25 लाख करोड़ रूपए से अधिक कर्ज है। कालाधन वापस लाने के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए मल्लिकार्जुन खडगे ने यह विचार व्यक्त किये।

पूर्व कंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि भाजपा के कई नेता भी जिस प्रकार से यह कदम उठाया गया है, उसके खिलाफ हैं क्योंकि इसके कारण आम लोग प्रभावित हो रहे हैं। पूरा सदन ऐसा ही मानता है। खडगे ने कहा कि हमारी इस मुद्दे पर फिर से तृणमूल कांग्रेस के संदीप बंदोपाध्याय, माकपा नेताओं और अन्नामुक से बात हुई है। हमने दूसरे दलों से भी इस बारे में चर्चा की है। सभी लोग ऐसा ही चाहते हैं।

मोदी सरकार पर बड़े नोटों को अमान्य करने का कदम बिना तैयारी के उठाने का आरोप लगाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत गंभीर और सार्थक चर्चा चाहता है जिसके कारण आम लोग परेशान हंै लेकिन सरकार सदन में खानापूर्ति करके आलोचना से बचना चाहती है।

मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा, हमने लोकसभा में नोटबंदी के कारण आम लोगों को हो रही कठिनाइयों और इस घोषणा को चुनिंदा तरीके से लीक किए जाने के मुद्दे पर लोकसभा में कार्यस्थगन का नोटिस दिया था। हम नियम 56 के तहत सदन में चर्चा करना चाहते हैं। लेकिन स्पीकर ने इसे अस्वीकार कर दिया है। सरकार भी इस नियम के तहत चर्चा को तैयार नहीं है। वे नियम 193 के तहत चर्चा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन यह एक महत्वपूर्ण एवं गंभीर मुद्दा है। सारे देश की जनता इससे प्रभावित हो रही है। वे  चाहते हैं कि नियम 193 के तहत सिर्फ चर्चा की खानापूर्ति हो जाए। वे चाहते हैं कि इस कदम के कारण पैदा हुई पीड़ा, सचाई और वेदना सामने नहीं आए। सरकार चाहती है कि उसे कटघरे में नहीं खड़ा किया जा सके। इस मुद्दे पर चर्चा के बाद मतदान न हो। लेकिन विपक्ष चाहता है कि यह पता चल जाए कि कौन कहां खड़ा है। लेकिन सरकार आलोचनाओं से बचना चाहती है। खडगे ने कहा, उन्हें सरकार चर्चा के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

दूसरे सदन राज्यसभा में इस प्रकार से चर्चा शुरू हो चुकी है। यह पूछे जाने पर कि क्या सोमवार को संसद की कार्यवाही चलेगी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा, वे सरकार मान गए तो अच्छी चर्चा होगी। हम चर्चा करना चाहते हैं। हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे नियम 56 के तहत चर्चा शुरू करायें। यह तात्कालिक, गंभीर और लोक महत्व का विषय है। नियम 56 के तहत चर्चा कराने से सभी मानदंड पूरे हो जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यसभा में तो सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य ही कार्यवाही नहीं चलने दे रहे हैं। वे शोरशराबा कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना लिया है? वह कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा करने को क्यों तैयार नहीं हैं? इसका क्या कारण है? अगर मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम 56 के तहत चर्चा होगी तो यह संदेश जायेगा कि सरकार इस मामले में गंभीर है। यह पूछे जाने पर कि नियमों में उलझने की बजाए क्या विपक्ष को जनता की परेशानियों को नहीं उठाना चाहिए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पूछा, कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने में सरकार को क्या दिक्कत है?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *