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अभिव्यक्ति की आजादी और मीडिया पर हमले को लेकर, सूचना एवं प्रसारण मंत्री का बड़ा बयान

नयी दिल्ली , देश मे अभिव्यक्ति की आजादी और मीडिया पर हमले को लेकर जारी बहस के बीच केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि मोदी सरकार प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करती है लेकिन मीडियाकर्मी नियम-कानून से ऊपर नहीं हैं और असहमति के नाम पर देश की अखंडता को छिन्न -भिन्न करने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।

नायडू ने  प्रसार भारती की ओर से आयोजित आकाशवाणी के वार्षिक पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ आपातकाल के समय प्रेस का गला घोंटा गया था लेकिन आज ऐसा कुछ नहीं है । अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान प्रदत्त अधिकार है और सरकार प्रेस की आजादी में विश्वास करती है । सबकाे अपनी मनमर्जी से लिखने और बोलने की स्वतंत्रता है । उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आजादी है लेकिन लेकिन साथ ही आगाह किया कि मीडियाकर्मियों समेत कोई भी नियम-कानून से उूपर नहीं है ।

रिण अदायगी में कथित गडबडी को लेकर एनडीटीवी पर केंद्रीय जांच ब्यूरो के छापों की ओर स्पष्ट तौर पर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि एक मीडिया घराने के खिलाफ जांच को यह कहकर पेश किया जा रहा है कि प्रेस की घेराबंदी की जा रही है । उन्होंने आगाह किया कि मीडिया समेत सबको यह समझना होगा कि कोई भी नियम कानून से ऊपर नहीं है ।

उन्होंने आगाह किया कि सरकार के विरोध की तो अनुमति दी जा सकती है लेकिन असहमति के नाम पर देश को छिन्न -भिन्न करने के राष्ट्रविरोधी दुष्प्रचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । उन्होंने कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि दुष्प्रचार के हथकंडे से वहां की गलत तस्वीर पेश की जा रही है ।

उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जतायी कि बीफ प्रतिबंध  काे लेकर बहस कैसे शुरू की गयी जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं । उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को लेकर यह दुष्प्रचार भी किया जा रहा है कि वह देश को जबरन शाकाहारी बना रही है । नायडू ने कहा कि वह स्वयं मांसाहारी हैं और किसी पर खानपान को थोपा नहीं जा रहा है । छोटी-मोटी घटनाओं को लेकर लगातार सरकार को निशाना बनाने वालों को आडे हाथ लेते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए ।

निजी चैनलों द्वारा सनसनी एवं ब्रेकिंग न्यूज दिये जाने पर  नायडू ने कहा हमें ब्रेकिंग नहीं बल्कि रचनात्मक खबरें चाहिए। समाचार और विचार में घालमेल नहीं होना चाहिए बल्कि दोनों अलग -अलग दिये जाने चाहिए ।

आकाशवाणी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुनिया की सबसे बडी प्रसारक सेवा है और सही मायने में आम जनता की आवाज है। इसका समाचार आज भी विश्वसनीय माना जाता है। यह 23 भाषाओं और 179 बोलियों में अपने कार्यक्रमों का प्रसारण करती है। आकाशवाणी के समक्ष प्रतिस्पर्धा की चुनौती है। उसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रसारण की तकनीक में बदलाव करके तथा डिजिटल माध्यम से इस चुनौती का सामना करना पडेगा।