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चुनाव के समय हर बार झूठे वादों में फंस जाती है जनता: मायावती

लखनऊ,  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सत्ता में न आने की वजह गिनाते हुये पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि चुनाव के समय भोली-भाली जनता बसपा के जनकल्याणकारी कार्यो को भुला कर उन दलों के लुभावने और झूठे वायदों के बहकावे में आ जाती है जिनकी कथनी और करनी में काफी अंतर रहा है।

मायावती ने अपने 69वें जन्मदिन के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता में रही उनकी पार्टी ने जन-कल्याणकारी योजनाओं को न सिर्फ शुरु किया बल्कि इमानदारी से लागू भी किया जिससे ग़रीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य अक़लियतों की स्थिति में काफी सुधार आया है और अब उन योजनाओं की देश में दूसरी पार्टियों की राज्य सरकारें भी काफी नकल कर रही है, लेकिन इन लोगों के प्रति उनकी नीति व नीयत साफ नहीं होने की वजह से फिर ये सरकारें इन्हें कोई विशेष लाभ नहीं दे पा रही हैं।

उन्होने कहा “ इस मौके पर मैं अपनी जिम्मेवारी एवं दायित्व को समझते व निभाते हुये अपनी पार्टी व मूवमेन्ट के हित में पार्टी के लोगों को हमेशा की तरह, इस बार भी सावधानी के तौर पर उन्हें यह आगाह करना चाहती हूँ कि पिछले कुछ वर्षों से बसपा के विशेषकर दलित बैस वोट को कमजोर करने व उसे तोड़ने के लिए अब यहाँ कांग्रेस, भाजपा, सपा व अन्य जातिवादी पार्टियाँ भी आयदिन किस्म-किस्म के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डे इस्तेमाल कर रही है जिनसे इन्हें कदम-कदम पर जरूर सावधान रहना है।”

बसपा अध्यक्ष ने कहा किर कांग्रेसी नेताओं द्वारा संविधान को दिखाना व नीले कपड़े आदि पहनकर किस्म-किस्म की नाटकबाजी करना यह सब यहाँ दलितों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के साथ इनका छलावा व ढोंग नही है तो ओर क्या है। सत्ता संघर्ष के लिये आई चेतना आदि के कारण अब विशेषकर दलित एवं आदिवासियों के वोटों को हथियाने में इन सभी विरोधी पार्टियों में उनके चेहते बनने की काफी होड़ लगी हुई है मगर उनका हक छीनने में अभी भी कोई पार्टी पीछे नहीं है अर्थात् ये सभी पार्टियां एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है।

उन्होने कहा कि जिस प्रकार से जातिवादी सोच व द्वेष के तहत चलकर कांग्रेस की सरकारों में बाबा साहेब सहित बहुजन समाज के सभी महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों का हर स्तर पर उपेक्षा व अनादर किया गया है तथा उनके अनुयायियों की हर स्तर पर अवहेलना की गयी है वह किसी से भी छिपा नहीं है और ना ही दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के लोग उसे कभी भुला सकते हैं और इस मामले में भाजपा व उनकी सरकारें भी कोई पीछे नहीं हैं बल्कि जिस प्रकार से इस पार्टी के वरिष्ठ मंत्री ने संसद में बाबा साहेब का अपमान किया है और उसका अभी तक भी इन्होंने पश्चाताप नहीं किया है, तो उससे अब इन वर्गों में इस पार्टी के प्रति रोष व आक्रोश कभी भी कम होने वाला नहीं है चाहे इनके वोटों के लिए यह पार्टी आयदिन कितने भी अभियान क्यों ना चलाती रहे।

उन्होने कहा कि देश में दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछडे़ वर्गों को अब खासकर सरकारी नौकरियों में उन्हें आरक्षण का भी पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। अर्थात् अब इनकी यह सुविधा ना के बराबर ही रह गई है। मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग भी अपने आपको काफी असुरक्षित ही महसूस कर रहे है, जिससे इनका विकास भी रूका हुआ है। केन्द्र व राज्य सरकारों की भी गलत आर्थिक नीतियों के कारण, आयदिन देश में गरीबी बेरोजगारी एवं महंगाई आदि भी काफी ज्यादा बढ़ रही है।