न बिल एंट्री की जरूरत, न जीएसटी रिटर्न भरने की आवश्यकता,जानिए कैसे….

नई दिल्ली,न बिल एंट्री की जरूरत, न जीएसटी रिटर्न भरने की आवश्यकता,जानिए कैसे। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में व्यापारियों को आ रही दिक्कतों को ही रायपुर के युवाओं ने अपना स्टार्टअप बना लिया। रायपुर के सरोना में रहने वाले वामसी कृष्णा, एस स्वप्ना और विनय कुमार ने ‘अकाउंटिंग वाला’ नाम से स्टार्टअप शुरू किया है। इस स्टार्टअप की खासियत है कि इससे व्यापारियों को न ही बिल एंट्री करने की जरूरत है न ही जीएसटी का रिटर्न भरने की आवश्यकता।

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केवल व्यापारियों को क्रय-विक्रय के बिलों को दुकान के एक बॉक्स में डालना है। युवाओं की स्टार्टअप कंपनी के बाइक राइडर वहां जाकर बिल को एकत्र कर लेंगे और उक्त बिलों को देर रात तक कंप्यूटर रिकॉर्ड में अपडेट भी कर देंगे। इसकी जानकारी व्यापारी को मोबाइल पर मिलती रहेगी। इसका फायदा ये होगा कि महीने के अंत तक व्यापरी का जीएसटी रिटर्न भर जाएगा।

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स्टार्टअप को तैयार करने वाले वामसी कृष्णा ने बताया कि व्यापारियों को एक शिकायत बॉक्स जैसी पेटी देते हैं। उक्त पेटी में व्यापारी खरीद के बिल, बिक्री के बिल और चेक की डिटेल आदि सब डाल देते हैं। व्यापारी को दी गई पेटी में बार कोड लगाया जाता है। इसमें उक्त व्यापारी की सभी जानकारी उपलब्ध होती है।

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रोजाना देर शाम तक स्टार्टअप का डिलीवरी बॉय (राइडर) पहुंच कर सभी पेटी को स्कैन कर सभी बिलों को मोबाइल से ‘अकाउंटेंट वाला’ सॉफ्टवेयर में अपलोड कर देते हैं, जो सीधे सॉफ्टवेयर के सर्वर में चला जाता है। वहीं ‘अकाउंटेंट वाला’ सॉफ्वेयर कंपनी में बैठे अकाउंटेंट तत्काल बिलों को बही-खाते में अपडेट कर देते हैं। यह प्रक्रिया रोजाना चलती है। इस पूरी प्रक्रिया के लिए व्यापारी को केवल 1500 रपये प्रतिमाह चुकाने होते हैं।

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जीएसटी के नियम के मुताबिक 20 लाख के ऊपर का व्यापार करने वाले व्यापारियों को प्रतिमाह की 10 तारीख तक जीएसटी आर वन और 20 तारीख तक जीएसटी आर थ्री बी फॉर्म भर कर देना होता है। इसमें महीने भर में दुकान के लिए की गई खरीदारी और की गई बिक्री को बताना होता है। इसके लिए व्यापारियों को अकाउंटेंट और सीए के चक्कर काटने पड़ते हैं। जो व्यापारी तय समय सीमा तक फॉर्म नहीं भरते, उन्हें अतिरिक्त शुल्क जमा करना होता है। उक्त स्टार्टअप से इन तमाम झंझटों से व्यापारियों को मुक्ति मिल गई है।

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