वाराणसी, पुत्र चाहत में भ्रूण हत्या की मुक्ति के लिए एक गैर सरकारी संस्था द्वारा आध्यात्मिक नगरी वाराणसी में मोक्षदायिनी गंगा के तट पर मोक्ष की कामना से 10 वर्ष से लगातार विधि-विधान से पिंडदान और तर्पण करने का कार्य किया जा रहा है। संस्था अभी तक 82 हजार भ्रूण में मारी गयी बच्चियों के लिए पिंडदान एवं तर्पण का कार्य कर चुकी है।
‘आगमन संस्था’ के संस्थापक डा संतोष ओझा ने बताया कि संस्था की स्थापना 1989 में किया गया था। संस्था अनेक प्रकार की सामाजिक कार्य करती थी। 2001 से संस्था की टीम एड्स महामारी पर जनजागरण अभियान चलाया करती थी। इसी दौरान कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए संस्था की ओर से अभियान चलाया गया। डॉ. संतोष ने बताया कि एड्स जनजागरण अभियान के दौरान ही एक ऐसे व्यक्ति से मुलाकात हुई जिसने बेटे की चाह में पत्नी के गर्भ में ही पल रही पुत्री के भ्रूण को नष्ट कर दिया।
उन्होंने बताया कि इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। तब विचार आया कि हम किसी मां के पेट में पल रहे बेटी वाले भ्रूण की हत्या को नहीं रोक सकते लेकिन उन्ही बेटियों की मोक्ष के लिए पिंडदान और तर्पण तो कर सकते हैं।
इसी क्रम में भ्रूण हत्या में मारी गयी बच्चियों की मोक्ष की कामना के लिए वर्ष 2013 से संस्था कार्य करने लगी।
डा ओझा ने बताया कि संस्था चालू वर्ष के पितृपक्ष में 15 हजार अनाम, ज्ञात और अज्ञात बेटियों के मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान और तर्पण का कार्य किया है। इससे पहले पिछले नौ वर्षों में संस्था ने 67 हजार अजन्मी बच्चियों की मुक्ति के लिए विधि-विधान से श्राद्ध कर्म किया।