मतदान व्यवस्था पर, मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बड़ा बयान
July 2, 2017
नई दिल्ली, मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि भारत में मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में चुनाव सुधार के लिए अनिवार्य मतदान व्यवस्था व्यवहार्य नहीं है।
फेसबुक के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास से शनिवार को एक साक्षात्कार के दौरान जैदी ने कहा, भारत उन कुछ देशों में है, जहां वास्तव में मतदान में इजाफा हो रहा है। अनिवार्य मतदान प्रणाली से मतदाताओं की संख्या बढ़ाने में मदद मिल सकती है, लेकिन अपनी आबादी के कारण भारत के लिए यह प्रणाली व्यवहार्य नहीं है।
उन्होंने कहा, अनिवार्य मतदान मॉडल छोटे देशों में सफल है। वे इसका प्रबंधन कर सकते हैं, क्योंकि मतदाताओं की संख्या कम होती है, लेकिन जब इस प्रणाली को भारत में लागू किया जाएगा, तो अपनी विशाल आबादी के कारण यह देश के लिए व्यवहार्य नहीं होगा। जैदी ने कहा कि निर्वाचन आयोग लोगों पर दबाव नहीं डाल सकता।
उन्होंने कहा, संवैधानिक तौर पर मतदान करना या न करना लोगों की अपनी मर्जी पर निर्भर है। इसका उल्लेख करते हुए कि साल 2014 में हुए चुनाव में 85 करोड़ लोगों में से 55 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया, उन्होंने कहा कि अगर मतदान करना अनिवार्य होता तो हमें 30 करोड़ लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ती। निर्वाचन आयुक्त ने कहा, 30 करोड़ लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं है। इसलिए मतदान अनिवार्य करने के बदले मतदाता को शिक्षित करना सही तरीका है।
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले देश में मतदान कम होता था और तब निर्वाचन आयोग ने सिस्टमेटिक वोटर एजुकेशन एलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (एसवीईईपी) प्रोग्राम शुरू किया। चुनाव आयुक्त ने कहा, देश में मतदान बढ़ाने में एसवीईईपी का बड़ा योगदान है। इसके तहत हम मतदाताओं के पंजीकरण तथा मतदाताओं की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने कहा, इस कार्यक्रम के तहत हम मतदाताओं के रुख की जानकारी के लिए सर्वे करते हैं। उसके बाद सर्वे के मापदंडों के आधार पर खास उपाय करते हैं।