भोजन का स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए मेथी का प्रयोग प्रायः हर घर में किया जाता है। मेथी को सब्जी तथा इसके दानों को मसाले के रूप में हमारे भोजन में प्रयोग किया जाता है। लगभग हर प्रदेश में मेथी की खेती की जाती है। इसका पौधा एक से दो फुट लम्बा होता है जिसमें जनवरी से मार्च के महीनों में फूल लगते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार मेथी की पत्तियों में 9.8 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 4.9 प्रतिशत प्रोटीन, 81.8 प्रतिशत पानी, 1.6 प्रतिशत खनिज पदार्थ, 1.0 प्रतिशत फाइबर , 0.9 प्रतिशत वसा तथा लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम में पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, गोंद, लेसीथिन, प्रोटीन, कोलाइन तथा ट्राइगोनेलिन एल्केहालइड्स पाए जाते हैं।
मेथी के सूखे पचांग में प्रोटीन की मात्रा लगभग 16 प्रतिशत होती है। इसके अतिरिक्त मेथी में अनेक लाभकारी एंजाइम भी पाए जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मेथी की तासीन गर्म, उसका स्वाद कड़वा तथा गुण में वह भारी होती है। यह वात, कफ, ज्वर तथा दाह नाशक होती है। यह कृमि, भूख न लगना, कब्ज, मोटापा, मधुमेह, गठिया आदि रोगों में लाभकारी है। स्तर तथा जनन पीड़ा, रक्तातिसार, जलने, गठिया, दुर्बल काम शक्ति के उपचार मेथी का प्रयोग किया जाता है। इसमें गर्भाशय संकोचन का गुण भी होता है। मेथी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। पाचन तंत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए मेथी बहुत अच्छा उपाय है। मेथी अपच, गैस व पेटदर्द दूर करने में सहायक है।
पेट के छालों को दूर करने के लिए मेथी के काढ़े का नियमित रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए। यह एसिडिटी तो दूर करती ही है साथ ही एपेन्डिक्स में एकत्रित गंदगी को भी दूर करती है। कब्ज के निदान के लिए सुबह−शाम भोजन में मेथी की सब्जी खानी चाहिए और रात को सोते समय एक चम्मच साबुत दाने पानी के साथ निगलने चाहिए। आमातिसार के इलाज के लिए रोगी को मेथी के पत्ते घी में तलकर खाने दें। साथ ही चार चम्मच मेथी के रस को मिस्री की एक चम्मच मात्रा में मिलाकर रोगी को पीने दें इससे शीघ्र लाभ होता है। मेथी के पत्तों के अर्क से गरारे करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। मेथी के पानी को दांतों पर रगड़ने से दांत मजबूत होते हैं तथा दंत क्षय नहीं होता।
मेथी दानों के काढ़े से दिन में तीन−चार बार गरारे करने से गले की सूजन, दर्द तथा टान्सिल्स की परेशानी दूर होती है। मेथी की सब्जी के सेवन से खून की कमी की शिकायत दूर होती है। पेचिस, पथरी, रक्तचाप, बहुमूत्र तथा मानसिक तनाव को दूर करने के लिए मेथी का काढ़ा तथा मेथी का चूर्ण बहुत लाभदायक है। महिलाओं में प्रदर की शिकायत होने पर भी मेथी का प्रयोग किया जाता है। किसी प्रकार की अंदरूनी चोट के दर्द को दूर करने के लिए प्रभावित अंग पर मेथी के पत्तों को पीसकर लेप लगाना चाहिए। इससे सूजन भी दूर होती है। मेथी के दानों के चूर्ण एक चम्मच सुबह−शाम नियमित रूप से लेने से घुटने, जोड़ों, आमवात, लकवा तथा गठिया में आराम मिलता है। मेथी दानों के लड्डू बनाकर तीन हफ्ते तक सुबह−शाम खाने से कमर दर्द में आराम मिलता है साथ ही प्रभावित स्थान पर मेथी के तेल की मालिश भी की जानी चाहिए।
सर्दी−जुकाम के कष्टों को दूर करने में भी मेथी बहुत सहायक होती है इसके लिए सुबह−शाम मेथी की सब्जी के सेवन के साथ−साथ मेथी के एक चम्मच दाने गर्म दूध के साथ खाने चाहिए। रात को सोते समय मेथी दानों का लेप बालों में लगाने से बालों के रोग दूर होते हैं तथा उनकी जड़ें मजबूत होती हैं। जलन या दाह को शांत करने के लिए मेथी के पत्तों का रस चार चम्मच, दिन में लगभग तीन बार रोगी को दिया जाना चाहिए साथ ही मेथी के पत्तों का पेस्ट भी लगाना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माताओं को मेथी के लड्डू या मेथी की सब्जी अथवा मेथी के दानों के चूर्ण का नियमित रूप से सुबह−शाम प्रयोग करना चाहिए इससे दुग्ध स्राव में वृद्धि होती है। वे महिलाएं जिनके स्तन अविकसित रह गए हों उनके लिए भी यह प्रयोग लाभदायक है।
प्रसव के दौरान होने वाले कष्टों को दूर करने में भी यह सहायक होती है। प्रजनन के बाद अंगों की शिथिलता दूर करने के लिए भी मेथी का प्रयोग किया जाता है। मेथी में खून और पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने का विशेष गुण होता है, इसी कारण मधुमेह के उपचार में मेथी का बहुत महत्व है। मधुमेह के रोगियों को रोजाना दो चम्मच मेथी दानों का चूर्ण दूध में मिलाकर लेना चाहिए। यदि संभव हो तो दो चम्मच मेथी के दानों को पानी के साथ ही निगल लेना चाहिए। जामुन के सूखे बीजों में मेथी मिलाकर पीसने और रात को सोने से पहले इस मिश्रण की एक चम्मच मात्रा के सेवन से भी शरीर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है। इससे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।
ट्रस्मेथाइमिलमिन नामक तत्व मेथी में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है इस कारण यह शाकाहारियों के लिए मछली के तेल का सर्वोत्तम विकल्प है। मेथी में पाया जाने वाला लैसीथीन नामक तत्व दिमागी कमजोरी को दूर करता है। पानी में पीसकर बने मेथी दाने के पेस्ट को जले हुए स्थान पर लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है और घाव जल्दी ठीक होता है। ऐसा दिन में लगभग तीन बार करना चाहिए। भूख न लगने, बहुमूत्र, साइटिका, दमा, पेट तथा मांसपेशियों के दर्द के लिए रोजाना मेथी दाने की एक चम्मच मात्रा, दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है। मेथी और हमारे स्वास्थ्य का सीधा संबंध है इसलिए मेथी को हमें अपने भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए।