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योग के लिये पूरा विश्व भारत की तरफ देख रहा

सहारनपुर, कल 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को समूचा विश्व मनाने जा रहा है । वर्तमान समय में स्वास्थ्य एक चुनौती है । योग से कैसे शरीर को स्वस्थ रखे इसके लिए सारा विश्व भारत में उपजे योग को देख रहा है ।

आरोग्य योग एवं मैडीटेशन सैन्टर के डायरेक्टर योगी गुलशन कुमार ने बताया कि जीवन को सुखी बनाने के लिए व्यक्ति का शरीर निरन्तर कर्मशील रहता है । जिस शरीर का उपयोग हो रहा है, शक्ति खर्च हो रही है क्या उस शरीर को भी उर्जा हम देते है । यहाँ भोजन से प्राप्त होने वाली कैलरीज की बात नही हो रही है । प्राण उर्जा कॆ विषय में बात हो रही है लाइफ फ़ोर्स के बारे में बात हो रही है वह जीवनी उर्जा हमे योग देता है । योगी का कहना है कि इस जीवन की सार्थकता स्वास्थ्य है । स्वास्थ्य ठीक होने पर ही जीवन स्वर्ग की विभूति बन जाता हैं और स्वास्थ्य ठीक न रहने पर जीवन नरक के समान दुःखदायी व भार स्वरूप बन जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य के बारे में परिभाषा दी है कि स्वास्थ्य केवल रोग रहित होना मात्र नही है वरन शारीरिक, मानसिक व स्वास्थ्य व सामाजिक साम्य स्थिति है।

आचार्य सुश्रुत ने स्वास्थ्य की अद्वितीय परिभाषा प्रदान की है वे कहते है कि :-
समः दोषः समानाग्निश्च समधातुमलक्रियः ।
प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते ।।

अर्थात् जिस मनुष्य के वात, पित्त व कफ सम मात्रा में हो अग्नि सम हो धातु रस, रक्त , मांस, मेद, अस्थि, मज्जा व शुक्र व मल क्रिया यानि स्वेद, मूत्र व पुरीष सम्पूर्ण क्रियाए सम्यक हो व मन इन्द्रियाँ एव आत्मा प्रसन्न है वही व्यक्ति स्वस्थ होता है।

योगी ने बताया कि शरीर की समावस्था को योग के अभ्यास से रखा जा सकता है शरीर को सम रखने के लिए कौन कौन से योग किये जाए जिससे रोग मुक्त रहा जा सके। वह इस तरह से है।

योग में षट्कर्म का स्थान सबसे पहला आता है इसमे शारीरिक शुद्धि की क्रियाएँ, कुंजर, जल नेति, सुत्र नेति, वस्त्र धौति, शंख प्रक्षालन आदि से शरीर का शोधन किया जाए तो काया में चमक आती है। शरीर रोग पैदा करने वाले सभी टाक्सिन बाहर आ जाते है व शरीर रोग रहित हो जाता है।

सूर्य नमस्कार का अभ्यास रोगो से लडने की अद्भुत क्षमता देता है नेचरूल इम्यूनिटी को बढाता है। चेहरे पर कान्ति आती है।
यौगिक सुक्ष्म विधियों से सुक्ष्म नाड़ियों पर असर पडता है ग्रंथियों को सक्रियता मिलती है हारमोन सम्बन्धी डिस्ट्रबेन्स ठीक होते है।
आसन से शरीर मजबूत रहता है मधुमेह , अस्थमा, स्पाइन डिस्आर्डर, कब्ज, साईटिका आदि में लाभ मिलता है।
प्राणायाम करने से प्राण शक्ति बढती है आक्सीजन सेचुरेशन नार्मल होता है। ह्रदय रोगियों को लाभ होता है।
मैडीटेशन करने से मन शान्त रहत है डिप्रेशन, एन्गजाईटि, तनाव में लाभ मिलता है कोरोना के डर से राहत मिलती है।
21 जून को मनाये जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस इस बार की थीम है योग के साथ रहे , घर पर रहे (“Be with yoga , Be at Home”) यह विषय आज के समय में प्रासंगिक भी है। समुची दुनिया में कोविड की उथल पुथल से जुझ रही है। इस महामारी ने मनुष्य को न केवल शारीरिक रूप से प्रभावित किया है बल्कि मानसिक रूप से भी सभी को प्रभावित किया है। योगी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर बताया कि कोरोना की इस लडाई में सबसे मजबूत शक्ति हमारी स्वयं की इम्यूनिटी है। इस कोरोना काल कीअगली लहर से लडने के लिए योग के साथ हमेशा रहना हैं ।