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राहुल गांधी ने कहा,हमारे परिवार की कश्मीरियत ने संगम से फैलाई गंगा-जमुनी तहजीब

श्रीनगर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कश्मीरियत एक सोच है और उनके पूर्वज इसी सोच को लेकर गंगा और यमुना के संगम प्रयागराज गये जहां से गंगा-जमुनी तहजीब फैली है।

राहुल गांधी ने कश्मीरी गाउन पहनकर भारी बर्फबारी के बीच यहां शेर ए कश्मीर स्टेडियम में भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा “मेरा परिवार कश्मीर से गंगा की ओर गया था जहां संगम के पास हमारा घर है। कश्मीरियत वाली सोच को गंगा में डाला था और सोच को फैलाया जिसे उत्तर प्रदेश में गंगा-जमुनी तहज़ीब कहा जाता है।”

उन्होंने कहा कि इसी सोच को विस्तार देने के लिए उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा शुरु की। इस यात्रा के जरिए उन्होंने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने का काम किया है और जिस तरह से सभी वर्गों के लोग भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े हैं उससे साफ हो गया है कि भारत जोड़ो यात्रा जिस मकसद से निकाली गई थी उसमें यह कामयाब रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा, “ये यात्रा न मैंने अपने लिए की, न कांग्रेस के लिए। ये यात्रा हमने भारत की जनता के लिए की। नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकानें खोलने के लिए की। यात्रा के दौरान मैं कुछ बच्चों से मिला जो शायद मजदूरी करते थे। उन्होंने गर्म कपड़े नहीं पहने थे। जब मैं उनके गले लगा तो महसूस किया कि वे ठंड से कांप रहे थे। मुझे लगा कि अगर ये स्वेटर या जैकेट नहीं पहन पा रहे हैं तो मुझे भी नहीं पहनना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि कश्मीर में लोगों के साथ अत्याचार हुआ है, इसलिए यहां के लोग बहुत डरे हुए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा “जब मैं यात्रा में चल रहा था, तब मुझे बहुत सारी महिलाएं मिली। उनमें से कुछ ने भावुक होकर बताया कि उनके साथ दुष्कर्म और उत्पीड़न हुआ है। जब मैंने कहा कि क्या मैं पुलिस को बताऊं तो उन्होंने कहा- नहीं राहुल जी, इससे हमारा नुकसान हो जाएगा।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह कश्मीर के लोगों के दर्द को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। उनका कहना था कि इस तरह के दर्द से वह गुजरे हैं इसलिए इस दर्द को उन्होंने आसानी से महसूस किया है। उनका कहना था कि जो पीड़ा सहता है उसे मालूम होता है कि दर्द क्या होता है।

उन्होंने कहा कि दर्द उनकी समझ में बचपन में ही आ आया था। उन्होंने कहा, “जब मैं स्कूल में था तब टीचर ने कहा- राहुल तुम्हें प्रिंसिपल ने बुलाया है। प्रिंसिपल ने कहा- राहुल, तुम्हारे घर से फ़ोन आया है… यह शब्द सुनते ही मेरे पैर कांपने लगे और मैं समझ गया कि कुछ गलत हुआ है। जब फोन कान पर लगाया तो आवाज आई ‘दादी को गोली मार दी’। तब मैं 14 साल का था। ये बात प्रधानमंत्री, अमित शाह या डोभाल जी को नहीं समझ आएगी, मगर ये बात कश्मीर के लोगों को समझ आएगी, ये बात सीआरपीएफ के लोगों को समझ आएगी, ये बात आर्मी के लोगों को समझ आएगी, उनके परिवारों को समझ आएगी।”

राहुल गांधी ने कड़ाके की ठंड के दौरान श्रीनगर के रास्ते में टी शर्ट पहनने का राज बताते हुए कहा, “जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने कहा कि अगर आप पैदल चलेंगे तो आप पर ग्रेनेड फेंका जाएगा। तो मैंने सोचा क्यों न मुझसे नफरत करने वालों को एक मौका दूं, ताकि वे मेरी सफेद टी-शर्ट का रंग लाल कर सकें, लेकिन जम्‍मू कश्‍मीर में मुझे ग्रेनेड नहीं, दिल खोलकर प्यार मिला।”

उन्होंने कहा कि यह सब अचानक नहीं हुआ है, बल्कि उनको सिखाया गया है कि डरना नहीं है। उन्होंने कश्मीर के लोगों को अपने घर के लोग करार दिया और कहा “यही सोचकर मैंने निर्णय लिया कि मैं अपने जो लोग हैं, उनके बीच में चलूँगा और मैंने सोचा कि जो मुझसे नफ़रत करते हैं, उनको क्यों न मैं एक मौका दूँ कि मेरी सफेद शर्ट का रंग बदल दें, लाल कर दें। क्योंकि मेरे परिवार ने मुझे सिखाया है, गांधी जी ने मुझे सिखाया है कि अगर जीना है, तो डरे बिना जीना है, नहीं तो जीना नहीं है।”

समारोह को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “कन्याकुमारी से तिरंगा लेकर भारत जोड़ो यात्रा निकली थी। हमने आज जम्मू-कश्मीर की सरज़मीं पर तिरंगे का परचम लहराया। ये राष्ट्रीय ध्वज हमारी एकता, हमारे सद्भाव, परस्पर भाईचारे और प्रेम का गौरवमय प्रतीक है। भारत जोड़ने का हमारा मक़सद सबक़ो इस तिरंगे की छाँव में एकजुट करना है।”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक यात्रा जहां-जहां गई, इस यात्रा को अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला। क्योंकि इस देश में अभी एक जज्बा है- देश के संविधान के लिए, देश की धरती के लिए। जब मेरे भाई कश्मीर की तरफ आ रहे थे, उन्होंने मुझे और मेरी मां को संदेश भेज कर कहा “मुझे लग रहा है, मैं अपने घर जा रहा हूं। जब यहां के लोग मुझसे गले मिलते हैं तो उनकी आंखों में आंसू होते हैं…तब लगता है जैसे उनका दर्द मेरे सीने में समा रहा है।”