नयी दिल्ली, केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शानदार उपलब्धियों से ईर्ष्या करने वाला उनका राजनीतिक विरोधी तबका बौखला गया है और उसने देश में ‘इस्लामोफोबिया’ के मनगढंत एवं झूठे दुष्प्रचार के माध्यम से भारत और उसकी समावेशी एवं बहुलतावादी संस्कृति पर कुठाराघात किया है।
श्री नक़वी ने यहां एक लेख में ऐसे तत्त्वों और राजनीति का पर्दाफाश किया तथा कहा कि अफसोस की बात है कि कुछ लोगों की ‘छद्म सेक्युलर सियासी सनक’ ने देश की पंथ निरपेक्षता को मुस्लिमों का ‘पेटेंट पोलिटिकल प्रोडक्ट’ बनाया और साथ ही भारतीय मुसलमानों को प्रगति की धारा से दूर करने का पाप भी किया। लेकिन प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश समावेशी समृद्धि एवं सर्वस्पर्शी सशक्तिकरण की नीति पर चलते हुए शक्तिशाली, आत्मनिर्भर, सुरक्षित, समृद्ध बन रहा है। भारत की इन शानदार उपलब्धियों से बौखलाये पेशेवर ‘मोदी फोबिया क्लब’ ने ‘इस्लामोफोबिया’ कार्ड के जरिये झूठे, मनगढंत तर्कों, तथ्यहीन दुष्प्रचार से भारत की समावेशी संस्कृति,एवं संस्कार नष्ट करने की साजिश रचनी शुरू कर दी है।
श्री नक़वी ने कहा कि श्री मोदी के अभूतपूर्व नेतृत्व, अद्भुत निर्णय क्षमता तथा राष्ट्रहित में किये गए कड़े-बड़े दूरदर्शी फैसलों पर गौरव का अहसास कर रहा है। श्री मोदी की संवेदनशील, समावेशी, दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें ‘सुशासन एवं समावेशी समृद्धि’ का ‘प्रामाणिक ब्रांड’ बना दिया है।
उन्होंने कहा कि इस देश की संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी “सारी पृथ्वी एक कुटुंब के समान है”- तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥’
यानी सभी सुखी होवें, सभी रोग मुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को दुःख का भागी ना बनना पड़े के संकल्प पर आधारित है। इसी समावेशी सनातन संस्कृति-संस्कार ने जिस विशाल भारत को अनेकता में एकता की मजबूत डोर से जोड़ रखा है, इसी ने मजहब, क्षेत्र, देश से ऊपर उठकर संपूर्ण मानव जाति के सुख-समृद्धि-स्वास्थ्य-सुरक्षा की सीख दी है।
श्री नकवी ने कहा कि इसी हिंदुस्तानी संस्कार, संस्कृति और संकल्प का परिणाम है कि आजादी के बाद जहाँ पाकिस्तान ने इस्लामी राष्ट्र का रास्ता चुना, वहीं भारत के लोगों ने ‘पंथनिरपेक्ष जनतांत्रिक’ राष्ट्र का मार्ग चुना। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यक 24 प्रतिशत से ज्यादा थे लेकिन आज करीब दो प्रतिशत बचे हैं। वहीं बंटवारे के बाद हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक कुल जनसंख्या का 9 प्रतिशत थे वह बढ़कर 22 प्रतिशत से भी अधिक हो गए हैं। सभी नागरिकों के साथ अल्पसंख्यक भी बराबर की हिस्सेदारी-भागीदारी के साथ फल फूल रहे हैं। उस देश और उसके नेतृत्व के खिलाफ दुष्प्रचार, अज्ञानता और मानसिक दिवालियेपन की पराकाष्ठ से ज्यादा कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही ‘साजिशी सियासी सनक से सराबोर’ लोग भारत को बदनाम करने और हिंदुस्तान के सर्वसमावेशी संकल्प पर चोट पहुँचाने की घटिया साजिश में लग गए हैं। ये वो लोग हैं जो श्री मोदी के परिश्रम, प्रदर्शन एवं देश की समावेशी प्रगति को हजम नहीं कर पा रहे हैं। ये हताश आत्माएं 2014 से एक दिन भी चैन से नहीं बैठीं, कभी भारत में असहिष्णुता, तो कभी साम्प्रदायिकता, तो कभी भारत में अल्पसंख्यकों के साथ जुल्म और भेदभाव के झूठे मनगठंत किस्से कहानियां देश-विदेश में प्रचारित करते रहे हैं। पर उनके दुष्प्रचार और परोसे गए सारे तर्क, वक्त की कसौटी पर खोटे और फर्जी ही साबित हुए।
श्री नक़वी ने कहा कि ऐसे तत्त्वों की भावनाओं के ठीक विपरीत श्री मोदी के कार्यकाल में इस्लामी देशों के साथ आजादी के बाद से अब तक के सबसे ज्यादा दोस्ताना और करीबी रिश्ते बने, यूरोपीय एवं अफ्रीकी देश भारत के और नजदीक आये, यही नहीं सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अफगानिस्तान, रूस, फिलिस्तीन, मालदीव, मॉरीशस आदि देशों ने अपने सबसे बड़े नागरिक सम्मान से प्रधानमंत्री श्री मोदी को नवाजा। इसके अलावा श्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘चैंपियंस ऑफ़ दी अर्थ अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया। आज श्री मोदी की वैश्विक स्वीकार्यता, लोकप्रियता’ किसी के प्रमाण पत्र की मोहताज नहीं है।
केन्द्रीय मंत्री ने दंगों एवं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और शाहीन बाग की साजिश का खुलासा किया और कहा कि जाँच एजेंसियां इस खतरनाक खूनी साजिश के तह तक पहुँच रही हैं। कानून इसके परदे के पीछे और सामने के गुनहगारों को ऐसा सबक सिखाएगा कि अगर उनके मन में इंसानियत को लहू-लुहान करने का ऐसा ख्याल दोबारा कभी आये तो उनकी रूह काँप जाये।
श्री नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने कभी भी धर्म, जाति, क्षेत्र के आधार पर विकास की रुपरेखा नहीं बनाई। उनकी प्राथमिकता गरीब-कमजोर तबका और जरूरतमंद रहा। फिर भी जो लोग ‘इस्लामोफोबिया’ के नाम पर दुनिया में भारत को बदनाम कर रहे हैं उनकी जानकारी के लिए बताना जरुरी है कि मोदी कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के सामाजिक, शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए जो कुछ किया गया है, वह इससे पहले इनकी ‘छद्म सेक्युलर सरकारों’ ने नहीं किया और जानबूझ कर इतने बड़े समाज को तरक्की की रोशनी से दूर रख उसका ‘बेदर्दी-बेशर्मी’ के साथ ‘सियासी शोषण’ करते रहे।
उन्होंने मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना, आवास योजना, मुद्रा योजना आदि कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों के लाभान्वित होने का दावा किया और बताया कि हुनर हाट, गरीब नवाज़ स्वरोजगार योजना, सीखो और कमाओ आदि रोजगारपरक कौशल विकास योजनाओं के माध्यम से पिछले 5 वर्षों में 10 लाख से ज्यादा अल्पसंख्यकों को रोजगार और रोजगार के मौके उपलब्ध कराये गए हैं। पिछले लगभग 5 वर्षों में 3 करोड़ 50 लाख से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को विभिन्न स्कॉलरशिप्स दी गई हैं। जिस वजह से विद्यार्थियों विशेषकर लड़कियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट 72 प्रतिशत से घट कर 32 प्रतिशत रह गया है जो आने वाले दिनों में जीरो प्रतिशत होगा।
उन्होंने बताया कि देश भर में वक्फ सम्पत्तियों का 100 प्रतिशत डिजिटाइजेशन कर दिया गया है और शत प्रतिशत वक्फ सम्पत्तियों के जियो मैपिंग का काम जल्द पूरा हो रहा है। मोदी शासन के 5 वर्षों में भारत से हज यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड 1 लाख 30 हजार से 2 लाख की वृद्धि हुई है। आजादी के बाद पहली बार, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत वक्फ संपित्तयों पर स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, कम्युनिटी सेंटर, विभिन्न आर्थिक-सामाजिक-शैक्षिक गतिविधियों के निर्माण के लिए मोदी सरकार शत प्रतिशत फंडिंग कर रही है।
उन्होंने कहा कि सभी सरकारी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समाज को भी समान रूप से मिल रहा है, फिर भी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट 3500 करोड़ रूपए से बढाकर 5000 करोड़ से ज्यादा कर दिया गया है यानी 70 प्रतिशत की वृद्धि। यहीं नहीं, 2014 तक केंद्र सरकार की सेवाओं में अल्पसंख्यकों की भागीदारी जहाँ 4 प्रतिशत के इर्द-गिर्द थी, वह मोदी सरकार के कार्यकाल में 10 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर रही है। प्रशासनिक सेवाओं में भी पिछले 60 वर्षों में सर्वाधिक अल्पसंख्यक समाज के लोग चुने गए हैं, यह सरकार की निष्पक्षता और काबिलियत के कद्र की नीति का नतीजा है।
श्री नक़वी ने कहा कि जब कोरोना का कहर दुनिया में शुरू हुआ, तब पाकिस्तान सहित और कई देश अपने नागरिकों की सुध नहीं ले रहे थे। तभी मोदी सरकार वुहान, ईरान, ईराक, सऊदी अरब आदि से बड़ी संख्या में भारतीयों को वापस देश लायी जिनमें अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे। वहीं हाल ही में शुरू किये गए ‘वन्दे भारत मिशन’ के तहत भी मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ईरान, क़तर सहित कई देशों से भारतीयों को वापस लाया जा रहा है जिनमे बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समाज के लोग हैं। उन्होंने कहा, “हमने कभी समाज के सभी वर्गों के साथ बराबरी से अल्पसंख्यकों के सामाजिक-शैक्षिक-आर्थिक प्रगति के लिए किये गए काम का ढोल नहीं पीटा ना इसका सियासी फायदा लेने की कोशिश की।”
उन्होंने कहा कि इसी विश्वास का नतीजा है कि कोरोना की चुनौतियों को परास्त करने के लिए समाज के सभी वर्ग एक जुट हो कर लड़ रहे हैं, मंदिर, गुरुद्वारों, चर्चों की तरह मस्जिदों, दरगाहों एवं सभी धार्मिक-सामाजिक जगहों पर हर तरह के भीड़-भाड़ वाले धार्मिक कार्यक्रम रोक दिए हैं। सभी लोग ईमानदारी के साथ लॉकडाउन, कर्फ्यू, सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना के तहत सभी दिशा निर्देशों एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की हर अपील को सम्मान के साथ स्वीकार कर पालन करते रहें। यही नहीं तमाम दुष्प्रचारों-अफवाहों को दरकिनार कर विभिन्न धार्मिक-समाजिक संगठन जिनमे दरगाहें, मस्जिदें, इमामबाड़े, अंजुमनें एवं अल्पसंख्यक सामाजिक-शैक्षिक संस्थान आदि शामिल हैं, लोगो को राहत के लिए आगे बढ़ कर मदद कर रहे हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इसके बावजूद इस संकट के समय भी ‘साजिशों के सूत्रधार’ बाज नहीं आ रहे हैं। साइबर ठगों से तालमेल कर सोशल मीडिया एवं अन्य प्लेटफॉर्म पर अफवाहें फैलाने, दुष्प्रचार करने, कुछ विदेशी संस्थाओं को भारत के खिलाफ चिट्ठियां लिखने में व्यस्त हैं लेकिन समाज का संस्कार और संकल्प इतना मजबूत है कि इन तमाम साजिशी और शैतानी चालों को नाकाम करता हुआ यह देश प्रधानमंत्री श्री मोदी के ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ के संकल्प के साथ, एकजुटता से आगे बढ़ता रहेगा।