लखनऊ ,भारत ने एफआईएच जूनियर हॉकी विश्व कप के फाइनल मुकाबले में बेल्जियम को मात देकर 15 साल के सूखे को खत्म करते हुए दूसरी बार खिताब जीत लिया। भारत ने खिताब की आशा लिए पहली बार फाइनल में पहुंची बेल्जियम की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए 2-1 से जीत हासिल की।
भारतीय हॉकी प्रेमियों ने ऐसा अप्रतिम मंजर बरसों बाद देखा जब टीम के हर मूव पर ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाते 10000 से ज्यादा दर्शकों का शोर गुंजायमान था. मैदान के चारों ओर दर्शक दीर्घा में लहराते तिरंगों और हिलोरे मारते दर्शकों के जोश ने अनूठा समा बांध दिया. जिसने भी यह मैच मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर बैठकर देखा, वह शायद बरसों तक इस अनुभव को भुला नहीं सकेगा.
हूटर के साथ ही कप्तान हरजीत सिंह की अगुवाइ में भारतीय खिलाड़ियों ने मैदान पर भंगडा शुरू कर दिया तो उनके साथ दर्शक भी झूम उठे. कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके. हर तरफ जीत के जज्बात उमड रहे थे. कहीं आंसू के रूप में तो कहीं मुस्कुराहटों के बीच. पंद्रह बरस पहले आस्ट्रेलिया के होबर्ट में खिताब अपने नाम करने के बाद भारत ने पहली बार जूनियर हॉकी विश्व कप जीता. भारत 2005 में स्पेन से कांस्य पदक का मुकाबला हारकर चौथे स्थान पर रहा था और उस समय भी कोच हरेंद्र सिंह ही थे.
इससे पहले 2013 में दिल्ली में हुए टूर्नामेंट में भारत दसवें स्थान पर रहा था. मैदान के भीतर दर्शकों की भीड़ दोपहर से ही जुटनी शुरू हो गयी थी. सीटों के अलावा भी मैदान के चप्पे चप्पे पर दर्शक मौजूद थे और भारतीय टीम ने भी उन्हें निराश नहीं किया. पिछले दो बरस से कोच हरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में की गयी मेहनत आखिरकार रंग लाई. भारत के लिये गुरजंत सिंह और सिमरनजीत सिंह ने गोल किये जबकि बेल्जियम के लिये आखिरी मिनट में पेनल्टी कार्नर पर फेब्रिस वान बोकरिज ने गोल किया.
पहले ही मिनट से भारतीय टीम ने अपने आक्रामक तेवर जाहिर कर दिये थे और तीसरे मिनट में उसे पहला पेनल्टी कार्नर मिला. मनप्रीत के स्टाप पर हरमनप्रीत हालांकि इसे गोल में नहीं बदल सके. इसके तीन मिनट बाद भारत को एक और पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन इसे भी गोल में नहीं बदला जा सका. भारतीयों ने हमले करने का सिलसिला जारी रखा और अगले ही मिनट गुरजंत ने टीम का खाता खोला. सुमित के स्कूप से गेंद को पकडते हुए गुरजंत ने शाट लगाया और गोलकपर के सीने से टकराकर गेंद भीतर चली गयी. भारत की बढ़त 10वें मिनट में दुगुनी हो जाती लेकिन नीलकांत शर्मा गोल के सामने आसान मौका चूक गये. इस दौरान सारा मैच भारतीय सर्कल में हो रहा था लेकिन 20वें मिनट में बेल्जियम ने पहला हमला बोला. सुमित की अगुवाई में भारतीय डिफेंस ने उसे नाकाम कर दिया.