मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) के पर्यवेक्षक रहे भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी विजय बहादुर की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. उनका शव ओडिशा के झारसुगुडा स्टेशन के पास रेल लाइन पर मिला है. उनकी मौत को व्यापम घोटाले से जोड़कर देखा जा रहा है.
सूत्रों के अनुसार, विजय बहादुर अपनी पत्नी नीता सिंह के साथ पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस से ओडिशा से लौट रहे थे. एसी बोगी में आ रहे विजय बहादुर गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात लगभग 12 बजे चलती गाड़ी से गिर गए और उनकी मौत हो गई.
संभाली थी निगरानी की जिम्मेदारी
विजय बहादुर ने व्यापम की 2010 से 2013 के बीच हुई करीब 12 परीक्षाओं में प्रश्नपत्र चयन करने से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं की जांच तक की निगरानी की जिम्मेदारी संभाली थी.
विजय बहादुर की देखरेख में हुई शिक्षक वर्ग-3 की पात्रता परीक्षा-2011 में बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आई थी. इसी सिलसिले में तत्कालीन शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई बड़े अधिकारी जेल में हैं.
RTI कार्यकर्ता अजय दुबे ने सीबीआई से विजय बहादुर की मौत का मामला तुरंत जांच के दायरे में लेने और व्यापम से जुड़े अन्य पर्यवेक्षकों को सुरक्षा प्रदान करने और उनसे पूछताछ करने की मांग की है.
CBI कर रही है घोटाले की जांच
गौरतलब है कि व्यापम घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई कर रही है. नौ जुलाई को सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद व्यापम से जुड़ी यह पहली मौत है. सीबीआई को जांच सौंपे जाने से पहले व्यापम से जुड़े 48 लोगों की मौत हुई थी.
मध्य प्रदेश का यह चर्चित व्यापम मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेजों तथा अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए परीक्षा से लेकर विभिन्न विभागों की तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती परीक्षा आयोजित करता है. जुलाई 2013 में व्यापम घोटाले के खुलासा होने पर यह मामला एसटीएफ को सौंपा गया और फिर हाईकोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी.
एसटीएफ जांच की धीमी रफ्तार और इससे जुड़े लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ते चले जाने से देशभर में पनपे आक्रोश को भांपते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नौ जुलाई, 2015 को व्यापम घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए.
व्यापम घोटाले के सिलसिले में एसटीएफ ने कुल 55 मामले दर्ज किए थे. एसटीएफ की जांच के दौरान 2100 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, जबकि 491 आरोपी अब भी फरार हैं. इस घोटाले और जांच से जुड़े 48 लोगों की मौत देश-विदेश में चर्चा का विषय बनी. एसटीएफ इस मामले के 12 सौ आरोपियों के चालान कर चुकी है. अब मामले की जांच सीबीआई कर रही है.