बागी विधायकों की विश्वास मत प्रक्रिया में भूमिका को लेकर, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश
July 17, 2019
नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया कि कर्नाटक के बागी विधायकों को विश्वास मत प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। न्यायालय ने दूसरी ओर यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस और जनता दल (एस) के बागी विधायकों के इस्तीफे पर अपने हिसाब से निर्णय करेंगे। इसके लिए कोई समय अवधि निर्धारित नहीं की जा सकती।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कांग्रेस और जद (एस) के बागी विधायकों की याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा, “हम यह स्पष्ट करते हैं कि राज्य विधानसभा के सभी 15 बागी विधायकों को अगले आदेश तक सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।” न्यायमूर्ति गोगोई ने पीठ की ओर से आदेश सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लें या उससे बाहर रहें।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार को निर्धारित समय-सीमा के तहत बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में अध्यक्ष की भूमिका एवं दायित्व को लेकर कई अहम सवाल उठे हैं, जिन पर बाद में निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल संवैधानिक संतुलन कायम करने के लिए वह अपना अंतरिम आदेश सुना रहे हैं।