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बिहार विधानसभा चुनाव: मां हारी लेकिन बेटा जीता

पटना ,  जेल में बंद नब्बे के दशक में युवाओं के दिल पर राज करने वाले तत्कालीन बिहार पीपुल्स पार्टी के संस्थापक आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद सहरसा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गई लेकिन उनके पुत्र चेतन आनंद ने शिवहर में जीत का परचम लहराया है।

दरअसल, इस बार श्रीमती आनंद और उनके पुत्र चेतन आनंद दोनों को ही मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपना उम्मीदवार बनाया। सहरसा से पार्टी की उम्मीदवार श्रीमती आनंद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आलोक रंजन से 20177 मतों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन शिवहर से राजद उम्मीदवार चेतन आनंद ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के मो. शर्फुद्दीन को 36461 मतों से चारो खाने चित कर दिया।

सहरसा में श्रीमती आनंद जहां 83022 मत हासिल कर पाई वहीं भाजपा उम्मीदवार को 103199 मत प्राप्त हुए। वहीं, कभी श्री आनंद मोहन के बेहद करीबी माने जाने वाले तीसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार किशोर कुमार मुन्ना ने 12525 वोट हासिल कर श्रीमती आनंद की हार को अवश्यंभावी बना दिया । वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में सहरसा सीट पर राजद के अरुण कुमार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 39206 मतों के अंतर से पराजित किया था।

शिवहर में श्री आनंद को 72818 को वोट मिले जबकि जदयू प्रत्याशी 36357 मत ही हासिल कर पाए। 18704 वोट प्राप्त कर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के विजय कुमार पांडेय तीसरे स्थान पर रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जदयू के मो. शर्फुद्दीन महज 461 वोट से विजयी हुए थे।