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क्षेत्रीय दल चुनाव के बाद ‘‘तीसरा मोर्चा’’ बनाने के लिए साथ आएंगे और…?

मछलीपत्तनम, देश में 2019 में 1996 की पुनरावृत्ति होने की ‘‘वास्तविक संभावना’’ है जिसमें क्षेत्रीय दल लोकसभा चुनाव के बाद ‘‘तीसरा मोर्चा’’ बनाने के लिए साथ आएंगे और सरकार बनाएंगे।

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यह विचार तेदेपा प्रमुख एवं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने  व्यक्त किये। नायडू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ‘मुख्य पार्टी’ बनी रहेगी और प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर निर्णय मोर्चा सहयोगी दलों द्वारा जीती गई सीटों की संख्या के आधार पर किया जाएगा। नायडू का यह आकलन भाजपा से मुकाबले के लिए चुनाव पूर्व महागठबंधन बनाने में कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों की विफलता के बीच आया है।

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जद(एस) के वर्तमान प्रमुख एच डी देवेगौड़ा 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों की संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री बने थे जिसे वाम दलों और कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया था। तब 1996 में लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी लेकिन उसे बहुमत के लिए जरूरी संख्या में सीटें नहीं मिली थीं। तब नायडू मोर्चे के संयोजक थे।

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नायडू ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘2019 में 1996 की पुनरावृत्ति होने की ‘‘वास्तविक संभावना’’ है और इसे खारिज नहीं किया जा सकता।’’ नायडू ने कहा कि भाजपा के 200 के आंकड़े को पार करने की उम्मीद नहीं है क्योंकि मोदी सरकार के खिलाफ ‘‘नकरात्मक लहर बढ़ रही है।’’ नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरा कार्यकाल पाने के लिए प्रयासरत हैं।

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उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी तेदेपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को परास्त करने का विश्वास है। चुनाव के लिए प्रचार मंगलवार को समाप्त हो गया। राज्य विधानसभा की 175 सीटों और 25 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव एक ही चरण में 11 अप्रैल को होगा जहां 3.93 करोड़ मतदाता हैं।

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नायडू ने कहा, ‘‘अब प्रत्येक क्षेत्रीय पार्टी स्वयं को धीरे धीरे भाजपा से अलग कर रही है। यह अपने में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नकरात्मक पहलू है। एक वर्ष पहले तक क्या कोई मोदी का विरोध करने की हिम्मत कर सकता था। मोदी लहर काफी नीचे आयी और उनके लिए नकारात्मक लहर शुरू हो गई है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा 200 सीटों का आंकड़ा पार कर पाएगी उन्होंने कहा, ‘‘यह मुश्किल है क्योंकि भाजपा के खिलाफ पर्याप्त नकारात्मकता है।

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उन्होंने कहा कि एक ओर भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में किये वादे को पूरा करने में असफल रही है जबकि दूसरी ओर उसने सीबीआई और अन्य स्वतंत्र एजेंसियों को कमजोर करके भारत के लोकतांत्रिक तानेबाने को नष्ट किया है। 2018 के शुरू में आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने वाले नायडू ने कहा कि क्षेत्रीय दलों द्वारा मजबूत प्रदर्शन किये जाने की संभावना है जो कि भाजपा के खिलाफ जा सकता है, यदि स्थानीय पार्टियां चुनाव के बाद एकजुट हो जाएं।

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यह पूछे जाने पर कि क्या 2019 में 1996 की पुनरावृत्ति हो सकती है, उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ संभव है। हमें अभी अटकलें नहीं लगानी चाहिए। हम चुनाव के बाद चर्चा करेंगे। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के कांग्रेस पर नरम रुख अपनाने पर नायडू ने कहा कि वे अल्पसंख्यक वोट बनाये रखने के लिए ‘‘नाटक’’ कर रही हैं।

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