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 पी चिदंबरम के बेटे पर ईडी की बड़ी कार्रवाई, तीन देशों में करोड़ों की संपत्ति जब्त

नई दिल्ली, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम पर बड़ी कार्रवाई की है। INX मीडिया केस में,ईडी ने कार्ति चिदंबरम की भारत और विदेशों में मौजूद 54 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।

INX मीडिया केस में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम पर कड़ा एक्शन लेते हुये उनकी तीन  देशों में मौजूद 54 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।ईडी ने जो संपत्ति जब्त की है उसमें दिल्ली के जोरबाग, ऊटी और कोडिकना के बंगले, ब्रिटेन का आवास और बार्सिलोना की प्रॉपर्टी शामिल है।  इसमें उनके बैंक अकाउंट भी शामिल हैं।

ईडी द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार कार्ति चिदंबरम की कंपनी Advantage Strategic Consulting Pvt. Ltd. (ASCPL) की कई संपत्त‍ियों को जब्त किया है। कंपनी की कोडाइकनाल स्थि‍त 25 लाख की कृषि‍ भूमि, ऊटी स्थ‍ित 3.75 करोड़ का बंगला, ऊटी के कोथागिरी स्थ‍ित 50 लाख की कीमत का बंगला और नई दिल्ली के जोरबाग स्थित 16 करोड़ की संपत्त‍ि जब्त की है। जोरबाग के बंगले में फिलहाल उनके पिता पी चिदंबरम रहते हैं, लेकिन कानूनी दस्तावेजों के मुताबिक इसका मालिकाना हक कार्ति और उसकी मां नलिनी चिदम्बरम के नाम पर है।

ईडी ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत कार्ति और अन्य पर पिछले साल मई में केस दर्ज किया था। एफआईआर में कार्ति पर आरोप लगाया गया है कि अपने पिता के केंद्रीय वित्त मंत्री रहते उन्होंने INX मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी दिलाने के बदले में 3.5 करोड़ की रकम ली थी।

पिछले साल 15 मई को दर्ज हुई एक FIR के सिलसिले में कार्ति को एक बार गिरफ्तार भी किया जा चुका है। कार्ति पर आरोप है कि 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपये पाने के लिए उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के मालिकों की मदद की। आईएनएक्स मीडिया की मालिक इंद्राणी मुखर्जी ने इस साल 17 फरवरी को इस मामले में इकबालिया बयान दिया। उसी आधार पर कार्ति की गिरफ्तारी हुई थी। बाद में कार्ति चिदंबरम को इस मामले में जमानत मिल गई थी। अब ईडी ने एक बार फिर कार्ति पर अपना शिकंजा कसा है।

जबकि पिछले दिनों एयरसेल-मैक्सिम केस में पी चिदंबरम और कार्ति को फौरी तौर पर राहत मिली थी, जब उन्हें गिरफ्तारी से दिया गया अंतरिम संरक्षण एक नवंबर तक बढ़ाया गया था। कार्ति ने इस संबंध में ट्वीट कर अपना  पक्ष रखा है। कार्ति ने इसे विचित्र प्रॉविजनल अटैचमेंट ऑर्डर बताते हुए कहा है कि यह केवल हेडलाइन बनाने के लिए दिया गया है। कार्ति ने दावा किया है कि कानून के सामने यह आदेश ठहर नहीं सकेगा। उन्होंने इस मामले को उचित लीगल फोरम के आगे उठाने की बात कही है।