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लोकविद्या को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करें- आनंदीबेन पटेल

भोपाल, मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। इसमें बिना दबाव, अभाव और प्रभाव के सीखने और समाज के प्रत्येक वर्ग, क्षेत्र तक ज्ञान पहुँचाने का लकीर से हटकर अपने स्वरूप में राष्ट्र केन्द्रित, एकात्मभाव से युक्त उपाय है।

श्रीमती पटेल आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति चुनौतियां एवं क्रियान्वयन विषय पर आयोजित वेबिनार को राजभवन लखनऊ से सम्बोधित कर रही थी। वेबिनार का आयोजन मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा किया गया था। उन्होेंने कहा कि भारतीय परंपरा में विकसित ‘लोक-विद्या’ को मुख्यधारा की शिक्षा का ही अंग बनाया जाए। विद्यार्थियों में अन्वेषण, समाधान, तार्किकता व रचनात्मकता विकसित करे और नई जानकारी को आवश्यकतानुसार उपयोग में ला सकने की दक्षता और नई सोच पैदा करे। वैश्विक स्तर पर शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, परीक्षण, अनुसंधान विमर्श और विश्लेषण आधारित सीखने के तरीकों को अपनाएं ताकि हर विद्यार्थी को अपने जुनून को पूरा करने के भरसक प्रयास के अवसर मिले।

उन्होंने कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थी की प्रकृति और प्रवृत्ति के अनुसार गढ़ने की सुविधा शिक्षको को मिली है। शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए खुली विचार धारा के साथ विद्यार्थीयों का सहयोग कर एक नई कार्य संस्कृति का निर्माण करें, नवाचार और अनुकूलन की जो मान्यताएं हम समाज में निर्मित करना चाहते हैं, उन्हें खुद, संस्थानों में स्थापित करें।

श्रीमती पटेल ने शिक्षाविद और शिक्षा जगत का आव्हान करते हुए कहा कि नीति के जो लक्ष्य और प्रस्ताव हैं उन्हें हासिल करने के लिए शैक्षणिक उपलब्धियों के नये मानदंड स्थापित करने का स्वर्णिम अवसर मान कर, उस के सभी आयामों पर समग्रता और गम्भीरता से विचार करें। मूलभूत परिवर्तनों को कैसे उपयोगी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राए जब कॉलेज में, वैज्ञानिक तरीके से पढ़ेगे, तेजी से बदलती जरूरतों और समय के हिसाब से पढ़ेगे, तभी वो राष्ट्रनिर्माण में सकारात्मक भूमिका निभा पाएगे। इस अवसर पर श्रीमती पटेल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म जयंती के अवसर पर उनका हार्दिक विनम्र स्मरण किया।