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अब हरियाणा विधानसभा की कार्यप्रणाली भी होगी हाईटेक, 20 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर

चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बाद अब हरियाणा विधानसभा की कार्यप्रणाली भी हाईटेक और पेपरलैस होने जा रही है।

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने इस परियोजना के लिये आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दे दी है जिस पर 20 करोड़ रूपये की लागत आएगी। इसमें केंद्र और राज्य सरकार क्रमश: 60:40 के अनुपात में लागत वहन करेंगी। यह परियोजना केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ई-विधान ऐपलिकेशन(नेवा) के तहत अमल में लाई जा रही है जो करीब एक वर्ष में पूरा होगी। कार्यप्रणाली पेपरलैस होने से न सिर्फ पूरा कामकाज तीव्र गति से हो सकेगा बल्कि उसमें पारदर्शिता भी आएगी।

इसके अलावा, कार्यवाही के लिए उपयोग किए जा रहा भारी मात्रा में कागज भी बचेगा जो पर्यावरण अनुकूल होने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगा। केंद्र सरकार की नेवा परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है। इसके लिए संसदीय कार्य मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है। परियोजना का उद्देश्य सभी विधानसभा और विधान परिषदों को पेपरलैस करना है। इसके तहत, सदन की पूरी कार्यवाही को पेपरलैस किया जाएगा। इस परियोजना के लिए हाल ही में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय के साथ हरियाणा के अधिकारियों की बैठक हुई थी जिसमें त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर करने की सहमति बनी।

इस एमओयू में पहला पक्ष केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय, दूसरा हरियाणा सरकार और तीसरा हरियाणा विधानसभा होगी। एमओयू हस्ताक्षर करने के बाद इस सम्बंध में दो कमेटियां गठित होंगी। पहली कमेटी हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष की अध्यक्षता में होगी, जिसमें पक्ष और विपक्ष के कम से कम नौ विधायक होंगे। दूसरी कमेटी हरियाणा विधानसभा के सचिव की अध्यक्षता बनेगी, जिसमें हरियाणा सरकार के संसदीय कार्य विभाग के प्रतिनिधि, सूचना प्रौद्योगिक विभाग के प्रतिनिधि, राज्य सूचना अधिकारी, नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर और विधानसभा के अधिकारी शामिल होंगे।

सदन शुरू होने से 45 मिनट पहले विधायकों को टैबलेट पर पूरी कार्यवाही की जानकारी मिल जाएगी। सदन की पूरी कार्यवाही को पेपरलैस करने के बाद प्रश्न काल, बिल प्रोसेंसिंग, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आदि कार्यवाही का आनॅलाइन माध्यम से संचालन किया जाएगा। सदन की कार्यवाही शुरू होने से 45 मिनट पहले सभी आनॅलाइन पेपर सदन में लगे टैब के द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे। इससे कागज की बचत होगी और सदन का कार्य पारदर्शी व स्पष्ट तरीके से हो पाएगा।