राफेल लड़ाकू विमान खरीद मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा
May 10, 2019
नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीद मामले में सरकारी स्तर पर की जाने वाली प्रक्रिया में अनियमितता बरते जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के असंतुष्ट नेता यशवंत सिन्हा की ओर से दायर याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित पक्षों की ओर पेश दलीलों को सुना। पीठ में अन्य न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ हैं। शीर्ष न्यायालय ने सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में दिए गए अपने पूर्व के फैसले के खिलाफ दाखिल यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, प्रशांत भूषण आदि की पुनर्विचार याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। वहीं आप नेता संजय सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि आपकी याचिका नहीं सुनेंगें।
सुप्रीम कोर्ट संजय सिंह के उस बयान से नाराज है, जिसमें उन्होंने राफेल मामले में शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले को कथित तौर पर म्युनिसिपल कोर्ट के निर्णय से तुलना की थी। वहीं याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि राफेल विमान सौदे में पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को गुमराह और फ्रॉड करके अपने पक्ष में फैसला लिया है। जबकि, केंद्र ने हलफनामा दायर करके बताया है कि याचिकाकर्ताओं की झूठे साक्ष्यों पर आधारित याचिका पूरी तरह गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर को फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन खरीद प्रक्रिया की जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट 10 अप्रैल दोबारा सुनवाई करने के लिए राजी हुआ था। तब मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने लीक हुए दस्तावेजों को वैध माना था। हालांकि, सरकार ने दलील दी थी कि इन दस्तावेजों को खारिज किया जाना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की याचिका खारिज करने की मांग की थी। दलील दी गई थी कि तीनों याचिकाओं में जिन दस्तावेजों का प्रयोग हुआ है, उस पर सरकार का विशेषाधिकार है। लिहाजा उन दस्तावेजों को याचिका से हटाया जाना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना था।