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मायावती के इस कदम से तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को मिला बल

लखनऊ  छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन और मध्यप्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर बहुजन समाज पार्टी  प्रमुख मायावती ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे के गठन की संभावनाओं को हवा दे दी है।

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समाजवादी पार्टी मध्यप्रदेश में बसपा और इन दलों के साथ चुनावी मोर्चा बनाने की कोशिश में

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार तीसरा मोर्चा भारतीय जनता पार्टी  के लिये विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है मगर यह भी तय है कि इसके गठन से चुनावों में कांग्रेस की संभावनायें अौर कमजोर पड़ेगी। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने  कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे के लिये भाजपा के खिलाफ मुखर वामपंथी और समाजवादी पार्टी  समेत अन्य दलों से बातचीत चल रही है। हालांकि विधानसभा चुनाव के लिये कांग्रेस के साथ भी गुपचुप तरीके से समन्वय बनाने की कोशिश पार्टी कर रही है। अगर यह बातचीत सफल होती है तो राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ एक हिस्सों में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया जा सकता है।

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बसपा नेता ने कहा  गठबंधन के लिये बसपा के दरवाजे खुले है लेकिन दूसरी ओर हम अपने सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे। हमें अच्छी तरह पता है कि पूरे देश में बसपा ही ऐसी पार्टी है जिसके पास अपना परंपरागत वोट बैंक स्थानांतरित करने की क्षमता है। बसपा पहले ही हरियाणा में राष्ट्रीय लोकदल  के साथ तालमेल की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है जबकि गुरूवार को छत्तीसगढ विधानसभा चुनाव के लिये पार्टी ने अजीत जाेगी की जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन का एेलान किया। समझौते के तहत छत्तीसगढ की 35 सीटों पर बसपा चुनाव लडेगी जबकि बाकी 55 सीटों पर जनता कांग्रेस के प्रत्याशी किस्मत आजमायेंगे। बसपा ने मध्यप्रदेश में 22 उम्मीदवारों की सूची जारी कर अकेले चुनाव लडने का संकेत दिये है।

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लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भी तीसरे मोर्चे की संभावनाये मजबूत हुयी है क्योकि बसपा और सपा ने कांग्रेस के साथ अपने रिश्तों के बारे में रूख अभी तक साफ नही किया है। यह भी संभावना है कि इसी साल होने वाले राजस्थानएमध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा विरोधी दल अपनी स्थिति लोकसभा चुनाव के लिये साफ करें।

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