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नये संसद भवन निर्माण से जुड़ी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का ये रूख?

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने नये संसद भवन एवं संबंधित अन्य इमारतों के निर्माण से जुड़ी सेंट्रल विस्टा परियोजना पर फिलहाल रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा कि अगर कुछ कानून के मुताबिक हो रहा है तो उसे कैसे रोका जा सकता है।

याचिकाकर्ता राजीव सूरी की ओर से पेश वकील शिखिल सूरी ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि सरकार न्यायालय के समक्ष मामला लंबित होने के बावजूद इस परियोजना के लिए आवश्यक मंजूरी प्रदान करते जा रही है।

इस पर न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि यदि सुनवाई लंबित रहते सरकार काम करवाती है तो इसमें उसी का जोखिम है। खंडपीठ ने कहा, “क्या हम अधिकारियों को कानून के मुताबिक काम करने से रोक सकते हैं।?”

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दलील दी कि इस परियोजना के लिए सरकार से मंजूरी मांगी जा रही है और सरकार दे भी रही है।

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह समझ से परे है कि याचिकाकर्ताओं को नये संसद भवन के निर्माण को लेकर इतनी समस्या क्यों है? उन्होंने कहा कि सरकार याचिकाकर्ताओं के आरोपों का विस्तृत जवाब देगी। फिर न्यायालय ने केंद्र सरकार को तीन जुलाई तक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया तथा ग्रीष्मावकाश के बाद न्यायालय के खुलने पर मामले की सुनवाई करने का निर्णय लिया।

याचिकाकर्ताओं ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए लैंड यूज बदलने के आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के 20 मार्च के आदेश को चुनौती दी है।
आज की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने पर्यावरण मंत्रालय की हालिया मंजूरी पर भी सवाल खड़े किये और अपनी याचिकाओं में संशोधन की अनुमति मांगी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
बीस हजार करोड़ की इस परियोजना के लिए 20 मार्च को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पुनर्निर्माण के लिए 86 एकड़ जमीन का लैंड यूज बदला था।
सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक की इमारतें, महत्वपूर्ण मंत्रालय और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं। केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रही है जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति कार्यालय के अलावा कई नये कार्यालय भवन होंगे।