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विश्व टीबी दिवस पर, डब्ल्यूएचओ ने पेश किया, भारत का हेल्थ कार्ड

नयी दिल्ली ,  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में क्षय रोग के उन्मूलन को लेकर जोर शोर से काम हो रहा है लेकिन भारत को इस दिशा में विशेष प्रयास करने की जरूरत है क्योंकि यहां टीबी संक्रमण के मामले सबसे अधिक हैं।

डब्ल्यूएचओ ने अपनी ग्लोबल ट्यूबरक्यूलोसिस रिपोर्ट 2018 में बताया है कि भारत में सबसे अधिक टीबी के मरीज हैं और यहां ही इसकी चपेट में आकर सर्वाधिक मरीजों की मौत होती है। वर्ष 2017 में दुनिया भर में इसके संक्रमण से 16.74 लाख लोगों की मौत हुई जिनमें से 4ण्23 लाख मौतें भारत में हुई। पिछले साल दुनिया भर में टीबी संक्रमण के एक करोड़ नये मामले सामने आये, जिनमें से 27 फीसदी यानी 27.9 लाख मामले भारत केे रहे।

इसी तरह दुनिया भर में टीबी से पीड़ित लेकिन एचआईवी निगेटिव लोगों की वैश्विक स्तर पर हुई मौतों में 32 फीसदी भारतीय थे। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी का प्रकोप भी भारत में अधिक है। एमडीआर टीबी से दुनिया भर में 6.01 लाख मौतें हुईंए जिनमें से 1.47 लाख मौतें भारत में हुई।

डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े केंद्र सरकार के वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य की पूर्ति में बाधक दिखते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने अपने सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत वर्ष 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जबकि केंद्र सरकार ने इसे वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले ही खत्म करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।

डब्ल्यूएचओ प्रति दस लाख में संक्रमण के एक मामले काे उस बीमारी का उन्मूलन मानता है लेकिन टीबी संक्रमण की दर भारत में प्रति एक लाख 211 है और वैश्विक औसत दर 140 प्रति लाख है। एमडीआर टीबी का अनुपात भारत में प्रति लाख 11 है और विश्व में 8.4 है।

दक्षिण पूर्व एशिया में डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने आज कहा कि वैश्विक आबादी की करीब एक चौथाई से अधिक इस क्षेत्र में रहती है लेकिन टीबी के वैश्विक मामलों में इसका हिस्सा 44 प्रतिशत और इसकेपर कारण होने वाली मौतों में इसका योगदान 50 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि अगर वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की पूर्ति करनी है तो इसके लिए वर्ष 2022 तक 15 लाख बच्चों समेत कम से कम 1.8 करोड़ टीबी मरीजों की जांच करनी होगी और उनका समुचित इलाज करना होगा। इसके साथ ही एमडीआर टीबी से ग्रसित पांच लाख से अधिक मरीजों का सफल उपचार करना होगा तथा उन 1.2 करोड़ लोगों को जिन्हें टीबी संक्रमण का खतरा हो उनका ऐहतियातन ईलाज करना होगा। उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।