भीमा कोरेगांव हिंसा के मुख्य आरोपी और बीजेपी नेताओं पर से सरकार ने केस हटाये, दलितों मे रोष
October 1, 2018
मुंबई, भीमा कोरेगांव हिंसा के मुख्य आरोपी और बीजेपी- शिवसेना नेताओं से सरकार ने केस वापस ले लिया है. ये जानकारी आरटीआई में सामने आई है. जिससे दलितों- पिछड़ों मे रोष व्याप्त हो गया है.
दलित समाज ने 1818 में हुये ईस्ट इंडिया कंपनी की पेशवाओं पर जीत के 100 साल पूरा होने पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस युद्ध में दलितों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से युद्ध किया था. दलित समाज इसे असमानता एवं अन्याय पर जीत के रूप में मनाता है. पुणे के पास भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को जब दलित समाज जयस्तंभ को अभिवादन करने आये तो उन पर संभाजी भिडे द्वारा उकसाये लोगों ने पथराव कर दिया और उनके साथ हिंसा की. उनकी गाडियों को भी तोडा और जलाया गया.
इसका आरोप संभाजी भिडे पर लगा, क्योंकि उसने हिंसा के कुछ दिन पहले वहां के सवर्णो को दलितों के खिलाफ भड़काया था. प्रकाश आम्बेडकर ने इस हिंसा के विरोध में 3 जनवरी 2018 को ‘महाराष्ट्र बंद’ का अवाहन किया, इसे बडा समर्थन मिला और उस बंद में भिडे की गिरप्तारी की मांग उठाई गई. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने कोरेगाव हिंसा के जांच के लिए एक ‘सत्यशोधक समिति’ गठित की, इस कमिटी ने संभाजी भिडे को कोरेगाव हिंसा का मुख्य सूत्रधार एवं आरोपी बताया.
आरटीआई से पता चला कि महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार ने पिछले एक साल के भीतर ही शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिड़े पर दर्ज 6 मामलों को वापस ले लिया है. इसके अलावा आरटीआई से ये भी पता चला है कि बीजेपी-शिवसेना के दर्जनों नेताओं और उनके सैकड़ों कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामलो को भी वापस ले लिया. जिन मामलों को वापस लिया गया है उनमें दंगा फैलाने और तोड़फोड़ करने जैसे गंभीर मामले भी शामिल हैं.
इसकी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता और अधिकार फाउंडेशन के अध्यक्ष शकील अहमद शेख को गृह विभाग द्वारा दी गई है. दरअसल, शकील अहमद ने आरटीआई दाखिल की थी कि साल 2008 से कितने राजनेताओं या कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले वापस लिए गए हैं. इस आरटीआई के जवाब में गृह विभाग की तरफ से बताया गया है कि जून 2017 में संभाजी भिडे और उनके साथियों के खिलाफ दर्ज 3 मामले वापस ले लिए गए हैं. इसके अलावा भिडे और उनके साथियों के खिलाफ 3 अन्य मामले भी सरकार ने वापस ले लिए है। ये जानकारी गृह विभाग की सूचना अधिकारी प्रज्ञा घाटे ने दी है.
फौजदारी प्रक्रिया दंड संहिता की धारा 321 के प्रावधान के अनुसार, राज्य सरकार मामूली किस्म के अपराध में दर्ज मामले वापस ले सकती है. जबकि संभाजी पर भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने के गंभीर आरोप है.
Filed RTI to seek information on how many cases against political leaders&their supporters were withdrawn since 2008. 3 cases against Bhima Koregaon violence accused Sambhaji Bhide were withdrawn & 9 cases against BJP & Shiv Sena leaders withdrawn: RTI activist Shakeel A Shaikh
कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोरेगांव केस में आरोपी संभाजी भिडे को क्लीन चिट दी है. फडणवीस सरकार ने जितने भी 41 केसों को वापस लिया है, सभी केस दंगे फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी काम में बाधा डालने और सरकारी कर्मचारी पर हमला करने जैसे संगीन अपराध में दर्ज थे.
आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख के मुताबिक, फडणवीस सरकार ने पिछले चार वर्षों में एक भी आम जन का केस वापस नहीं लिया है. जितने भी केस वापस लिए गए हैं उनमें ज्यादातर बीजेपी और सेना के नेता या कार्यकर्ता हैं. शेख ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की है कि वापस लिए गए केस के फैसले तुरंत रद्द किए जाएं. सरकार के इस फैसले से दलित और पिछड़े समाज मे बीजेपी सरकार के प्रति रोष व्याप्त हो गया है.