गन्ना- किसानों को कम खेती करने के भाजपा के सुझाव के पीछे ये खतरनाक साजिश-अखिलेश यादव
September 13, 2018
लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सीएम योगी द्वारा गन्ना किसानों को गन्ने की खेती न करने के सुझाव के पीछे खतरनाक साजिश नजर आ रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि आज गन्ना किसानों को कम खेती करने का भाजपा के सुझाव के पीछे न्यूनतम समर्थन मूल्य, बकाया भुगतान के मायाजाल में उलझा कर किसानों को रोजी-रोटी और जमीन से भी बेदखल कर कार्पाेरेट घरानों को सौंपने की साजिश लगती है। उन्होने कहा कि यह सुझाव सीएम योगी द्वारा आलू, गेंहू, धान और मक्का बोने वाले किसानों को भी सुनाया जा सकता है। यह गन्ना किसानों के लिए अपमानजनक एवं आपत्तिजनक है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा अब हर दिन उजागर होता जा रहा है। गन्ना किसानों को दी गई नेक सलाह के पीछे और कुछ नहीं खेती-किसानी के बारे में अनभिज्ञता और किसानों को अपमानित करने की मानसिकता है। दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बागपत में दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का शिलान्यास के समय राज्य के किसानों को गन्ने के अलावा दूसरी फसलों को उगाने की सलाह दी। उन्होने कहा, “आपको गन्ने के अलावा दूसरी फसलें उगानी चाहिए। गन्ने के ज्यादा उत्पादन से उसकी खपत बढ़ जाती है और फिर उसकी वजह से लोगों को शुगर की बीमारी हो जाती है।”
अखिलेश यादव ने कहा कि बात-बात में पाकिस्तान का विरोध करने वाली भाजपा सरकार ने वहां से अरबों रूपये की चीनी आयात करके भारत के किसानों का कोई हित नहीं किया है। इससे किसानों की आय बढ़ाने का वादा करने में कोई सच्चाई नहीं है। आक्रोशित किसान अपने गन्ने लेकर 2019 में इसका जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं।
उन्होने कहा कि गन्ने का उपयोग केवल चीनी उत्पादन के लिए ही नहीं होता है। चीनी मिलें इससे बिजली, पेपर, शीरा, एथनोल आदि भी बनाती हें। तेल कम्पनियां और शराब फैक्ट्रियां भी इनसे लाभान्वित होती हैं। गन्ने की बढ़ती खेती और अधिक चीनी उत्पादन का उपयोग तो विदेशों को उनका निर्यात करके भी हो सकता है। सच तो यह है कि 01 कुंतल गन्ने पर 800 रूपये का लाभ होता है इसमें से 300 रूपए प्रति कुंतल किसान को बामुश्किल भुगतान हो पाता है। प्रश्न है कि अवशेष 500 रूपए कहां जाते हैं? अगर मिलों को आधा से ज्यादा लाभ जाता है तो फिर किसानों को बकाया भुगतान में हीलाहवाली क्यों होती है? राज्य सरकार के सामने जब हर सत्र का मिलों का लाभ हानि का ब्यौरा रहता है तो फिर किसान के हितों की मिल मालिकों के सापेक्ष क्यों बलि दी जाती है?
अखिलेश यादव ने कहा कि हालत यह है कि भाजपा सरकार के 17 महीने बीत जाने के बाद भी गन्ना किसानों का 10,186 करोड़ रूपये बकाया है। जब कि 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री जी ने 14 दिनों के भीतर गन्ना किसानों का सम्पूर्ण भुगतान कर देने का वादा किया था। भाजपा ने तब सरकार बनने पर गन्ना किसानों को प्रति कुंतल मुनाफा 275 रूपए करा देने का भी वादा किया था। भाजपा सरकार की किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति का ही परिणाम है कि अनुपूरक बजट में 5500 करोड़ रूपए गन्ना किसानों के नाम पर दिया गया जिसमें से 5000 करोड़ रूपए सीधे चीनी मिल मालिकों को सौंप दिए गए।
उन्होने कहा कि इसी तरह केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश के गन्ना किसानों के नाम पर 8000 करोड़ रूपये की घोषणा के बाद भी आज तक किसानों को एक पाई नहीं मिली। सरकार के इस रवैये से अब किसान त्रस्त हो गया है और वह झूठे वादों की सरकार को किसी भी तरह बर्दाश्त नही करेगा। अन्नदाता को किसी की सलाह नहीं, सम्मान, सुविधा और न्याय चाहिए।