भीम आर्मी चीफ के साथ ज्यादती का अनूठा विरोध, भाजपा के खिलाफ बढ़ रहा दलित आक्रोश
February 24, 2018
लखनऊ, भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण के साथ भाजपा सरकार द्वारा की जा रही ज्यादती के कारण, दलितों मे चंद्रशेखर के प्रति सहानुभति और श्रद्धा तथा भाजपा के प्रति निरंतर आक्रोश बढ़ रहा है। इसे प्रगट करने का दलितों ने एक अनोखा तरीका ईजाद किया है।
भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर दलितों के आदर्श बनते जा रहें हैं। रावण की रिहाई की मांग को लेकर दलित समाज अपनी एकता व ताकत दिखाने का निरंतर प्रयास कर रहा है। इसी क्रम मे, अब दलितों ने अपनी शादी के कार्डों में चंद्रशेखर का फोटो छपवाना शुरू कर दिया हैं। डा. आंबेडकर की तरह चंद्रशेखर की फोटो भी घरों में लगाने से लेकर शादी विवाह के कार्ड तक पर छपने लगी है। चंद्रशेखर अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के दलित युवाओं के आइकन बनते जा रहे हैं।
घाटकोली के रहने वाले राकेश कुमार नौटियाल के बेटे की शादी बीते 17 फरवरी को हुई है। उन्होंने बेटे की शादी में डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर के साथ चंद्रशेखर की तस्वीर छपवाई थी। इसके अलावा 18 फरवरी को हुई गुलशन नौटियाल व अमिता रानी की शादी के कार्ड पर भी चंद्रशेखर के फोटो छापे गए। सरसावा ब्लाक के गांव ईस्माइलपुर के पवन कुमार गौतम की शादी 10 मार्च की है। इन्होंने अपनी शादी के कार्ड पर ऊपर भगवान बुद्ध और डा. आंबेडकर का फोटो छापा है तो नीचे चंद्रशेखर का फोटो लगाया है। उत्तरांचल के जिले हरिद्वार के रहने वाले अमरदीप बुद्ध की शादी भी 18 मार्च को है। उन्होंने चंद्रशेखर की तस्वीर अपने शादी के निमंत्रण पत्र में छपवाई है।
दो साल पहले चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने भीम आर्मी की शुरुआत की थी। संगठन को पहचान 5 मई 2017 को बड़गांव के गांव शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद मिली। संगठन ने दलितों पर हुए अन्याय के बाद आवाज बुलंद की। 9 मई को रामनगर में आगजनी- हिंसा के बाद पुलिस ने चंद्रशेखर रावण, जिलाध्यक्ष कमल वालिया, मंजीत नौटियाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न आदि के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर जेल में डाल दिया। अदालत द्वारा रिहा कर दिये जाने के बावजूद, केवल जेल मे बंद रखने के लिये चंद्रशेखर के ऊपर भाजपा सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की है।
चंद्रशेखर उर्फ रावण अभी भी जेल में है। लोगों का कहना है कि सहारनपुर में हुई जातिगत हिंसा में आजाद का कोई हाथ नहीं था। पुलिस ने उन्हें गलत फंसाया। वे आजाद को अपना मसीहा बताते हुए कहते हैं कि जब से वे चंद्रशेखर से जुड़े हैं वे खुद को मजबूत महसूस कर रहे हैं। जहां भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर दलितों के लिए अन्याय के खिलाफ आशा की किरण बन गयें है, वहीं अपने नेता के प्रति भाजपा सरकार की ज्यादती के कारण लोगों मे लगातार आक्रोश बढ़ रहा है।